June 21, 2025
देश दुनिया

Judges को पसंद नहीं अपनी संपत्ति बताना

आरटीआई में जवाब भी अलग अलग मिले

न्यायाधीशों के लिए अभी भले अपनी संपत्ति सार्वजनिक करना जरुरी नहीं है लेकिन यह बात कई बार उठ चुकी है कि जज भी यदि इस बारे में ब्यौरे रख दें तो बेहतर होगा. 2009 से लेकर अब तक संसद से लेकर अदालती विमर्श तक में यही कहा गया कि जज संपत्ति ब्यौरे रखें इसके बावजूद 87 प्रतिशत जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने को तैयार नहीं हैं और तर्क यह है कि इसमें कहीं भी जनहित जैसी कोई बात उन्हें नजर नहीं आती.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 27 जजों का ब्यौरा मौजूद है जबकि हाइकोर्ट्स के मामले में 25 हाईकोर्ट के 749 जज में से सिर्फ 98 ने स्वेच्छा से संपत्ति ब्यौरा सार्वजनिक किया है जो उन हाई कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है. 18 हाइकोर्ट के एक भी जज ने यह ब्यौरा सामने रखना पसंद नहीं किया है. कुछ मामलों में इस बारे में आरटीरआई लगाई गई तो जो जवाब मिले उनमें एक यह भी है कि यह सब आरटीआई की परिभाषा के तहत नहीं है. वैसे कानून मंत्रालय के तहत बनी 30 सदस्यों वाली कमेटी ने अगस्त, 2023 में रिपोर्ट में जोर दिया था कि जजों को भी संपत्ति जनता के सामने रखनी चाहिए.