June 27, 2025
देश दुनिया

Edwina के पत्र और सोनिया पर चोरी के आरोप की कानूनी राह

पहले ये दस्तावेज संग्रहालय को दिए गए लेकिन बाद में वो उठवा भी लिए गए

स्मृति ईरानी अब तो मंत्री पद से हट चुकी हैं और इन दिनों फिर एकता कपूर के साथ काम कर रही हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि वो सिर्फ अपनी पुरानी दुनिया में लौटी हैं बल्कि वो इस मिशन पर लगी हुई हैं कि क्या सोनिया गांधी पर चोरी का मुकदमा दर्ज कराए जाने की कितनी संभावनाएं हैं. प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) की सदस्य के नाते वो लगातार इस बात पर काम कर रही हैं कि जो 51 बक्से भरकर महत्वपूर्ण पत्र वगैरह सोनिया के कब्जे में हैं उन्हें वापस कैसे लिया जाए और किस तरह इस मामले में चोरी का मुकदमा हो सकता है. मामला नेहरू से जुड़े निजी दस्तावेजों का है. ये दस्तावेज (तब यह संस्थान नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी हुआ करता था तब इंदिरा गांधी और बाद में कुछ दस्तावेज सोनिया ने ही संग्रहालय को दान कर दिए थे.) बाद में हटा कर 51 बक्सों में भरकर सोनिया के सुपुर्द कर दिए गए थे. अब बार बार संग्रहालय की तरफ से राहुल और सोनिया को पत्र लिखकर ये दस्तावेज मांगे जा रहे हैं क्योंकि दान में एक बार दे दी गई चीज संग्रहालय की संपत्ति हो जाती है ऐसे में इन दस्तावेजों का हटाया जाना गलत माना जा रहा है.

यहां तक कि एक इतिहासकार ने गांधी परिवार से यह भी कहा गया कि यदि वे मूल दस्तावेज नहीं दे रहे हैं तो कम से कम उनकी डिजिटल कॉपी ही उपलब्ध करा दें लेकिन इन बातों का कोई जवाब नहीं आया. इसलिए सहमति यह बनी है कि अब कानूनी तरीके से ये दस्तोवज पाने के विकल्प पर काम किया जाए और गैरकानूनी तरीके से हटाए गए इन दस्तावेजों को लेकर सोनिया पर चोरी का मामला चलाने की संभावना तलाशी जाए. मामले में ‘गंभीर जाँच’ कराए जाने को मंजूरी मिली है, नेहरू के निजी संग्रह वाले ये दस्तावेज, देश के लिए भी कीमती हैं क्योंकि इनमें एडविना, अल्बर्ट आइंस्टीन, विजय लक्ष्मी पंडित, जगजीवन राम जैसे कई बड़े नामों के पत्र व्यवहार भी शामिल हैं. 1971 से लेकर 2008 तक तो ये दस्तावेज संग्रहालय में रखे थे लेकिन बाद में ये
तीन मूर्ति भवन में पिछले दिनों संग्रहालय की 47 वीं एजीएम में मोदी, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव स्मृति ईरानी भी शामिल रहे. इसमें फिर दस्तावेजों का मुद्दा उठा और कहा गया कि ये दस्तावेज किसी परिवार की निजी संपत्ति नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर हैं. आम सहमति के बाद कानूनी विकल्प तलाशने की बात हुई. कानूनन दान में मिले दस्तावेज अब संग्रहालय की संपत्ति हैं. संग्रहालय से गायब दस्तावेजों को ेलकर यह चिंता भी जताई गई कि कहीं इसमें से प्रमुख कागज गायब तो नहीं कर दिए गए हैं. यह मुद्दा संसद में भी उठ चुका है, यानी आने वाले समय में यह भी सोनिया के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.