Bangladesh में अब सेना का राज, हसीना भागकर भारत आईं
हसीना ने देश छोड़ा, सेना ने 45 मिनट दिए थे इस्तीफा देने के लिए
बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है और बताया जा रहा है कि शेख हसीना को सेना ने इस्तीफा देने के लिए महज 45 मिनट का अल्टीमेटम दिया था, इसके बाद शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है और सूत्रों की मानें तो वे भागकर भारत में शरण के लिए आई हैं. सेना ने भी जब छात्र प्रदर्शनकारियों की मांग से सहमति जता दी तभी यह तय हो गया था कि हसीना को अब पद छोड़ना ही होगा. दरअसल पिछले दिनों आरक्षण पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद थोड़ा प्रदर्शन थोड़े शांत हुए थे लेकिन अब फिर हिंसक घटनाएं तेज हो गई हैं और नए सिरे से बांग्लादेश के सुलगने के साथ ही सेना ने शेख हसीना को सोमवार को चेतावनी देकर हमज 45 मिनट में इस्तीफा पेश कर देने को कहा था.
हिंसा के इस दौर में प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे से कम पर किसी समझौते को अस्वीकार कर रहे थे और हसीना के इस्तीफे की मांग के साथ जिस तरह वे सड़क पर उतरें उसे लेकर सरकार ने भी सख्ती दिखानी शुरु दी थी लेकिन इस बार सेना हसीना के साथ नहीं थी और यह तथ्य सामने आते ही यह तय हो गया कि बांग्लादेश अब सैनिक शाससन की ओर बए़ गया है. रविवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों को भी मिला लें तो बताया जा रहा है कि अब तक इन प्रदर्शनों में 72 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें 14 पुलिस वाले भी हैं.सरकारी तौर पर घायल होने वालों की संख्या 40 से अधिक बताई गई है जो अस्पतालों में भर्ती हैं. हालात बेकाबू होते देख सरकार ने देशभर में फिर से कर्फ्यू लगाते हुए 3 दिनों के लिए छुट्टी घोषित कर दी है. पुलिस को भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस और स्मोक ग्रेनेड का इस्तेमाल करने की भी इजाजत मिल गई है और इसका पुलिस इस्तेमाल भी पूरी ताकत से कर रही है. सोशल मीडिया से खबरें न फैलाई जा सकें इसलिए इंटरनेट पूरे देश में एक साथ बंद कर दिया गया है. कल नेशनल कमेटी ऑन सिक्योरिटी अफेयर्स की बैठक में PM हसीना ने प्रदर्शनकारियों को आतंकी बताते हुए कहा था कि देशवासी इनसे निपटने में मदद करें. हसीना ने तीनों सेनाओं के चीफ, पुलिस चीफ और सुरक्षा से जुड़े अफसरों की संयुक्त मीटिंग लेते हुए यह भी कहा था कि प्रदर्शन कर रहे लोग छात्र नहीं हैं. शेख हसीना ने जनवरी में लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री पद संभाला था. प्रमुख दल विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के बहिष्कार के बाद हुए चुनाव में प्रधानमंत्री बनीं हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में किसी न किसी वजह से प्रदर्शन चलते ही जा रहे थे. छात्रों का प्रदर्शन आरक्षण मुद्दे को लेकर शुरु हुआ था जिसे वहां की सुप्रीम कोर्ट ने काफी हद तक कम कर भी दिया लेकिन इसी बीच एक जगह कथित तौर पर पुलिस की गोली से 2 की मौत होने और 30 मजदूरों के घायल होने की खबर के बाद मामला फिर गर्मा गया और इस बार सेना ने छात्रों के साथ खड़ा होने का फैसला किया जिसके फलस्वरूप हसीना को सत्ता से बाहर होना ही एकमात्र विकल्प बचा.