White House में मुनीर को ‘धन्यवाद भोज’ क्यों दिया ट्रंप ने
– आदित्य पांडे ईरान को परमाणु बम का भरोसा देने के बाद धोखा देने के साथ ही और भी कारण हैं इस डिनर डिप्लेामेसी के
आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में ट्रंप ने डिनर क्या कराया भारत में एक बार फिर यही कहने वालों की लाइन लग गई कि हमारी डिप्लोमेसी फेल है, यही लोग हैं जो इससे पहले मुनीर को आर्मी डे पर सलामी दिए जाने की झूठी खबर पर भी जमकर हल्ला मचा रहे थे. जो लोग कूटनीति समझते हैं वो जानते हैं कि ट्रंप के इस कदम को अस्थिर दिमाग के साथ उठाया गया कदम नहीं माना जा सकता यानी हमें इस डिनर के पीछे के कारण समझने की कोशिश करना चाहिए. अब इस डिनर डिप्लोमेसी को कुछ अलग एंगल से समझने की कोशिश करें. इसका पहला मतलब यह निकाला जाना चाहिए कि अमेरिका की नजरों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की कोई हैसियत नहीं है वरना ऐसा नहीं होता कि अमेरिकी राष्ट्रपति एक देश के फेल्ड मार्शल (फील्ड मार्शल कहे जाते हैं वैसे) को तो डिनर दें लेकिन प्रधानमंत्री से मिलना ही पसंद न करें क्योंकि वो पहली फुरसत में कर्जा मांगना शुरु कर देते हैं. हालांकि पाकिस्तान के मामले में यह नई बात नहीं है क्योंकि इससे पहले जब कियानी सेना प्रमुख थे तब ओबामा ने भी ठीक यही रुख अपनाया था और तो और कियानी ने पाकिस्तान की तरफ से स्ट्रेटेजिक सजेशंस के कागज भी दे डाले थे और ओबामा ने वो कागज अपने स्टाफ तक को हाथ नहीं लगानो दिए थे बल्कि खुद उठाकर ले गए थे. यानी अमेरिका मानता है कि पाकिस्तान में डेमोक्रेसी तो नाम भर की है और असली सत्ता सेना के पास ही है. इसकी दूसरी वजह देखिए, दरअसल पाकिस्तान मुस्लिम देशों में अकेला ऐसा माना जाता है जिसके पास परमाणु क्षमता होने की बात पुख्ता है. पाकिस्तान को मुस्लिम देशों का लीडर बनने का शौक भी बहुत है और यह भी कि जब पाकिस्तान ने कहा था हम घास खाकर भी परमाणु बम बनाएंगे तब यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान का परमाणु किसी एक देश का नहीं होगा बल्कि यह सारे मुस्लिम देशों की तरफ से बना परमाणु बम होगा. यही वजह भी थी कि लगभग हर मुस्लिम देश ने जमकर पाकिस्तान को इसे बनाने में मदद भी की. ऐसे में जब पिछले दिनों पाकिस्तान ने ईरान पर हमले में उम्माह को एकजुट होने की बात कही तो ईरान ने एक कदम आगे जाकर कह दिया कि यदि ईरान के साथ ज्यादा गड़बड़ हुई तो पाकिस्तान परमाणु बम मार देगा और यह बात पाकिस्तान ने हमें कही है. हालांकि पाकिस्तान ने बहुत तेजी से इस संभावना से इंकार भी किया लेकिन जिस तरहि वह चौधरी बनने की कोशिश में रहा है उसके चलते ट्रंप ने मुनीर को सीधी भाषा में धमकाया न हो ऐसा संभव ही नहीं है ताकि पाकिस्तान इस बारे में ईरान ते क्या किसी देश को अपनी तरफ से ऐसा दिलासा देने की आगे हिमाकत ही न करे.
तीसरी बड़ी वजह यह मानी जा सकती है कि मुनीर के जरिए पाकिस्तान को यह बताया गया हो कि यदि वह ईरान का साथ पूरी तरह छोड़ दे तो उसे क्या क्या फायदे दिए जा सकते हैं और चूंकि खुद ट्रंप अपने आप को टैरिफ मैन कहते हैं, ऐसे में उन्होंने बढ़िया व्यापार संभावनाओं का लालच न दिया हो यह संभव ही नहीं है. चौथी वजह यह कि पिछले दिनों जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिसतान की पिटाई हुई ही है उसके बाद पाकिस्तान और खासतौर पर मुनीर समझ गए हैं कि उन्होंने चीन के हथियारों पर भरोसा कर बहुत बड़ी गलती कर दी है और इन हालात में अमेरिका को पाकिस्तान में अपने हथियारों का एक बड़ा ग्राहक नजर आ रहा है. इसमें इस फैक्टर को भी जोड़ लीजिए कि भारत अब हथियारों के आयात
पर पूरी तरह से निर्भर देश नहीं बचा है बल्कि बहुत तेजी से हथियार बेचने वाले देशों की श्रेणी में भी ऊपर चढ़ा है जबकि पाकिस्तान पूरी तरह से हथियार आयातक देश है, यहां तक कि जिन हथियारों को वो अपनी तरफ से नाम देते हैं वो भी विदेश से ही मंगाए गए हैं. ट्रंप को हर जगह व्यापार सूझता है और मुनीर को खाना खिलाने के बदले वो करोड़ों की हथियारों की डील की उम्मीद लगाए बैठे हैं, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक से लिए गए कर्जे को भी पाकिस्तान हथियारों पर खर्च करने की जुगत लगाता ही रहा है और अमेरिका इस समय यही चाहता है कि चीन को छोड़कर पाकिस्तान उसके हथियारों के लिए पैसा ढीला करे. एक वजह यह भी हो सकती है कि अमेरिका भारत की बढ़ती ताकत से परेशान है और वह लगातार इस कोशिश में है कि भारत के आसपास ऐसा माहौल रहे कि उसकी तरक्की धीमी हो जाए. इन सबके बाद आप इस बारे में भी सोचिए कि ट्रंप ने यदि मुनीर से कहा हो कि आप ईरान का साथ छोड़कर इजराइल का साथ दें तो मुनीर का क्या जवाब रहा होगा. वैसे इस संदर्भ में दो बात और जोड़ दें. पहली यह कि पिछले दिनों मुनीर जिस ईरानी कमांडर से मिले थे उसकी इजराइल उसे इजराइल ने उड़ा दिया था और इसके लिए बताया यही जा रहा है कि मुनीर की गिफ्ट में दी गई घड़ी ने इजराइल को बहुत साथ दिया. कमोबेश यही बात इमरान खान की पार्टी पीटीआई कह रही है कि मुनीर ईरान के नहीं बल्कि इजराइल यया कहें प्रकारांतर से अमेरिका के साथ हैं. दूसरी बात यह कि मुनीर कह चुके हैं कि ट्रंप को नोबल शांति पुरस्कार दिया जाना चाहिए. जब इतने कारण हों तो मुनीर को धन्यवाद भोज तो बनता ही था ट्रंप की तरफ से.