June 21, 2025
लाइफस्टाइल

Nature: मोबाइल से बाहर, कुदरत की नेमतें भी देखिए

ट्रैवल ब्लॉगशुचि कर्णिक (स्व्तंत्र पत्रकार- लेखक)

कभी कभी कुछ चीजें अनायास ही हो जाती हैं और कभी हमें कुछ बातों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. ये ट्रैक एक ऐसे ही अलिखित वादे की तरह मन पर चस्पां था. अक्सर ज्योति मैम से बातें हुआ करती थीं और मैं उनके साथ ट्रैक पर जाने की इच्छा भी हमेशा ज़ाहिर करती थी. इतवार को वह इंतजार भी आख़िर खत्म हुआ और अलसुबह हम पूरे उत्साह के साथ घर से निकले. सूरज की पहली किरण ने मुस्कुराकर कहा-आपका दिन शुभ हो! हमने भी अभिवादन किया और मन में उम्मीदों का समंदर लिए आगे बढ़ते गए. बच्चों के साथ यह मेरा पहला ही ट्रैक था. इस ट्रैक का मकसद ही था बच्चों को मोबाइल की दुनिया से बाहर निकाल कर असली दुनिया से जीवंत संपर्क करवाना और प्रकृति के सानिध्य में ले जाना.

लैंडस्केप ऐसे, स्लाइड शो जैसे

प्रकृति हमें छोटे-छोटे कई खूबसूरत तोहफे देती है बस हमें उन्हें समझना और सहेजना आना चाहिए.हर कदम पर ऐसा लग रहा था मानो हमारी आंखों के सामने कोई स्लाइड शो चल रहा हो एक से बढ़कर एक खूबसूरत लैंडस्केप. इन्हें देखना और कैमरे में कैद करना फिर भी आसान था पर जो महसूस किया वो शब्दों से परे, अवर्णनीय है. वैसे फोन की मेमोरी पर भी ज्यादा अत्याचार ठीक नहीं. इसलिए कुछ दृश्यों को मन की दीवार पर अंकित कर लिया. यह ट्रैक एक ऐसा अनुभव रहा जिसने अपने आप से मुलाकात करवाई. खुद की सेहत के प्रति जागरूकता भी बढ़ी. दो- तीन दिन पैरों में काफी दर्द भी रहा, पर मन संतुष्ट था, ख़ुश था. समय समय पर हमें खुद को चुनौती देते रहना चाहिए.

हमें रेडीमेड संस्कृति की इस कदर आदत हो गई है कि प्रकृति के बीच रहने के लिए भी जतन करने पड़ते हैं. संगीत सुनना है तो यू ट्यूब या स्पॉटिफाई पर चले जाते हैं.ये अच्छा है. पर याद कीजिए कब आपने सुबह पंछियों का कलरव सुना था, कब चांदनी रात में छत पर तारों को गिनने की कोशिश की थी; पानी की कल-कल ध्वनि, पत्तों की सरसराहट या झिंगुर का समवेत गान सुनिए . रात के अंधेरे को चीरती हुई झींगुर की आवाज़ शायद हम सब ने सुनी हो. पर रालामंडल की पहाड़ियों से उतरते वक्त झींगुरों का कोरस गान हमने सुना. हालांकि काफी लाउड था, स्पष्ट कहें तो कर्कश लगा पर एक ख़ास बात पर गौर किया कि एक भी सुर उपर नीचे नहीं हुआ. ज़मीन पर सुंदर चमकिली काली मिट्टी और आकाश में श्वेत शुभ्र रोशनी बिखेरते बादल. कभी इन कुदरती नेमतों पर गौर कीजिए. हम पाएंगे कि हमसे अधिक धनवान तो कोई है ही नहीं.