Oval Office चने के झाड़ पर जेलेंस्की का स्वागत
मनजी की कलम से अमरिक्का के ताजा हाल
पावन कर्मभूमि अमरिक्का से ताज़ा खबर लाए है आप के अपने श्री भूरेलाल जी.
सफेद कोठी यानी ओवल ऑफिस में हुई गहमागहमी सबने देखी ही होगी कि दस मिनट में कैसे दुनिया के दो राष्ट्रपति आपस में किशोरो की भाँति एक दूसरे को उँगली दिखा दिखा आरोप प्रत्यारोप कर रहे थे. लेकिन कहानी केवल इस दस मिनट के वादविवाद की नहीं है. पूरी कहानी जानने हेतु पढ़िए श्री भूरेलाल जी की निष्पक्ष रपट. आज यूक्रेनी प्रेसिडेंट ज़ेलेंस्की काले कपड़े धारण किए अमेरिका के राष्ट्रपति भवन पहुचें- आज ट्रीटी साइन होनी थी- और श्रीमान सूट पहन कर नहीं पहुंचे थे. ट्रम्प ने उनका स्वागत करते हुए चुटकी ली- अरे आज आप बेहतरीनी से कपड़े पहन कर आए है. वाइट हाउस के ओवल ऑफिस में एक राजनेता ने ज़ेलेंस्की से पूछा- क्या आपके पास एक फॉर्मल सूट नहीं है जिसे पहन आज आप आ सकते थे? ज़ेलेंस्की ने कहा- आगे पहन कर आयेंगे. क़सम खोदा की- भूरेलाल जी को इस पल श्री केजरीवाल जी बड़े याद आए.
पाठकों की जानकारी हेतु- अमेरिका राजनीति में ऐसी मीटिंग और वो भी ओवल ऑफिस में- ड्रेस कोड मायने रखता है. मस्क अपवाद हो सकते है किंतु अपेक्षा रहती है कि आने वाला मेहमान प्रॉपर फॉर्मल कपड़े पहन कर आएगा. खैर- इसके बाद आधे घंटे की बातचीत हुई और इस आधे घंटे के बाद वो ऐतिहासिक दस मिनट का झगड़ा हुआ जो समूची दुनिया ने देखा. ज़ेलेन्स्की और ट्रंप की प्रारंभिक बातचीत में ज़ेलेन्स्की ने सौदे के समझौते से अधिक की कोशिश की- वो डील के अतिरिक्त सब कुछ कहते रहे-जबकि ट्रंप आमतौर पर “देखेंगे” जैसे जवाब देते थे. ज़ेलेन्स्की ने कहा कि पुतिन के साथ कोई बातचीत नहीं होगी और रूस युद्ध के लिए भुगतान करेगा. ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों की मौतें एक त्रासदी हैं, जिस पर ज़ेलेन्स्की ने हस्तक्षेप कर बताया कि रूस आक्रमणकारी है. बातचीत शांत और स्थिर थी जब तक वांस (Vance) ने हस्तक्षेप किया और ज़ेलेन्स्की ने उन्हें चुनौती दी. ज़ेलेन्स्की ने पुतिन की सीज़फायर पर असफलताओं का ज़िक्र किया और कहा कि बातचीत व्यर्थ है. इस सबके बाद, तर्क-वितर्क शुरू हो गया. ट्रंप ने साफ़ कहा था कि डील साइन करने पर अमेरिका उन्हें सैन्य सहायता देता रहेगा किंतु ज़ेलेंस्की ने ट्रम्प और वांस को इतिहास के सबक देने शुरू कर दिए कि २०१४ से अमेरिका यूक्रेन की मदद कर रहा है- पुतिन ने कभी एग्रीमेंट नहीं माना- क्या गारंटी है इस बार मान जाएगा.
दरअसल इस आख़िरी दस मिनट में निम्न बातें अग्नि में घी का काम कर गई-
1- ज़ेलेंस्की ने कहा कि जब तुम्हें झेलना पड़ेगा तब तुम्हें महसूस होगा. इस पर ट्रम्प और वांस चिढ़ गए, कहा हमें मत बताओ कि जब हम पर गुजरेगी तो क्या होगा?
2- ज़ेलेंस्की के कटु रूख को देख वांस ने पूछा- यूक्रेन को हमने इतनी मदद दी है, क्या तुमने उसके लिए हमें एक बार भी शुक्रिया बोला?
3- ट्रम्प ने कहा पूर्व सरकार मसलन ओबामा ने तुम्हें “शीट्स” दिए और मैंने तुम्हें “जेवलिन” दिए. तुम्हें ये अंतर तक नहीं पता. शीट्स का मतलब है कंबल और बाक़ी वस्तुएं जैसे वर्दी जूते आदि. जेवलिन का अर्थ है- मिसाइल और बाक़ी हथियार.
4- ट्रम्प और वांस ने ज़ेलेंस्की से इस बात पर भी नाखुशी जताई कि पिछले साल अमेरिका के चुनाव में तुम कमाला के लिए प्रचार भी करने आए थे.
ज़ेलेन्स्की सौदा और नए प्रतिबद्धताओं को लेकर काफी करीब थे, लेकिन वांस की टिप्पणियां और ज़ेलेन्स्की की प्रतिक्रिया ने विवाद को जन्म दिया. इस दस मिनट की मौखिक लड़ाई में अमेरिका में यूक्रेनी राजदूत अपना सर पकड़ कर बैठ गई. इस विजिट का एक मात्र उद्देश था कि ज़ेलेंस्की एग्रीमेंट साइन करें कि अमेरिका को यूक्रेन रेयर मिनरल देगा और अमेरिका उसे सैन्य सहायता देगा और लड़ाई रुकवाने में बिचौलिया बनेगा. अब सबसे दिलचस्प बात- जो रेयर मिनरल अमेरिका को चाहिए वो सत्तर प्रतिशत से ऊपर यूक्रेन की उस भूमि में है जिस पर अभी रूस ने क़ब्ज़ा किया है. यदि एग्रीमेंट मुकम्मल होता तो अमेरिका रूस से वो ज़मीन क़ब्ज़ा कर वहाँ माइन करता. वो ज़ेलेंस्की का सरदर्द नहीं था. इस लड़ाई के बाद सफेद कोठी में रखा हुआ लंच भी यूक्रेनी दल को नसीब नहीं हुआ- सब खाना पत्रकारों ने खाया. ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की को रोका नहीं- कहा- जब तुम्हारी गरज हो वापस आकर डील साइन कर लेना.
भूरेलाल जी कोई राजनीतिक विश्लेषक तो नहीं है किंतु उनकी राय कुछ ये है-
- ट्रम्प ने अब तक कनाडा, फ्रांस, इंग्लैंड के प्रेसिडेंट / प्राइममिनिस्टर को नहीं बख्शा है: उन्हें मौखिक रूप से कटाक्ष मारे है. इस संदर्भ मोदी जी की यात्रा अब तक सबसे सुखद कही जा सकती है.
- ज़ेलेंस्की की राह बड़ी दुरूह होने वाली है, अमेरिका से मदद रुकना मतलब यूक्रेन की हालत पस्त और होगी.
- यूरोप : फ्रांस जर्मनी इंग्लैंड का रवैया अब देखने वाला होगा; ट्रम्प से अदावत मोल लेने का दम किसमें दिखेगा.
- जो भी हो, ऐसी लड़ाई सबके सामने खुले में नहीं होनी चाहिए थी: ये अमेरिकी राजनीति में विचित्र बात हुई है : पहली बार. काश ऐसा पब्लिक में नहीं हुआ होता.
आज की मीटिंग कुछ ऐसे थी कि चौधरी रामफल ताऊ और चौधरी हरपाल चच्चा के सामने खाप में बैठा ढाई पसली का कोई आदमी उन्हें धौंस देके लट्ठ की महिमा बतला रहा हो. भैये- चौधरी लोगों के सामने अकड़ नहीं दिखानी चाहिए- वो भी उनके आँगन में बैठ.
Beggars are not choosers ,mister z.
यह भी साथ ही…
कल ज़ेलेंस्की ट्रम्प वांस तू तू मैं मैं कांड पर अनेक यूरोपियन देशों के मुखिया लोगों ने ज़ेलेंस्की को सांत्वना दी- ट्विटर पर संदेशें प्रेषित किए. छोटे बड़े सब मुल्कों के सदर साब आदि ने हौंसला दिया. इसी श्रेणी में लक्जमबर्ग मुल्क के प्रधान मंत्री लूक साब ने भी ज़ेलेंस्की को कहा- इस मुश्किल घड़ी में लक्जमबर्ग आपके साथ खड़ा है. अब बात ये है कि लुक साहब के कुल पंद्रह हज़ार फॉलोवर है ट्विटर पे. इस मुल्क के टोटल सिपाही हज़ार भी नहीं है. केवल दो हेलीकॉप्टर है- जिनमे से एक ही उड़ता है दूसरा वाला केवल नुमाइश के तौर पर रखा हुआ है और ये लक्जमबर्ग वाले ज़ेलेंस्की से कह रहे है- अमा दोस्त, अमेरिका ने तुम्हें ठेंगा दिखा दिया तो क्या हुआ, हम तुम्हारे साथ है, चिंता मत करो.
ज़ेलेंस्की इन्हें थैंक यू कह रहा है- बोल रहा है – आपकी सपोर्ट के लिए आपका धन्यवाद.
दोस्तों- इस वाक़ये से एक अहम सबक़ लीजिए.
आपको जीवन में चने के झाड़ पर चढ़ाने वाले अनेक लोग मिलेंगे- कहेंगे- हम तुम्हारे साथ है, लटक जा बेटा सूली पर.
आपने चने के झाड़ पर नहीं चढ़ना है- याद रखिए इस झाड़ से गिरने पर बहुत चोट लगती है.
अब मुद्दे की बात- लक्जमबर्ग ने यूक्रेन को अस्सी मिलियन यूरो की रकम देने का वायदा किया है- युद्ध में, और अमेरिका यूक्रेन को सवा सौ बिलियन यूरो दे चुका है.