June 21, 2025
इंदौर

दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलंत, वीरों का कैसा हो वसंत

दस गीतों की मणिमाला, देशभक्ति गीतों में बंकिम बाबू से लेकर प्रसाद तक की रचनाएं प्रस्तुत कीं

संस्कृतिकर्मीसंजय पटेल

वीर विलासिता के जीवन को देखे या युध्द का चुनाव करे? योध्दा के जीवन में वसंत तब आएगा जब देशवासी शांति से खुशियाँ मना पाएंगे. आज भूषण और चंद जैसे कवि नहीं जो जो दुश्मन को अपने शब्दों से ललकार सके. आओ! दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलंत, वीरों का कैसा हो वसंत ?

सुभद्राकुमारी चौहान की ये पंक्तियाँ जबलपुर के श्री जानकी ऑफ विमेन के कलाकारों के कंठ से सेवा – सुरभि और वामा साहित्य मंच के मेज़बानी में रविवार के प्रात:कालीन आयोजन में जब गूँज रही थीं तब प्रत्येक श्रोता देशप्रेम के भाव आकंठ डूब हुआ महसूस कर रहा था. ठीक समय प्रारंभ झण्डा ऊँचा रहे हमारा अभियान का यह आयोजन हिन्दी – उर्दू कवियों की रचनाओं की रसधार को श्रोताओं की आत्मा में उतारन में सफल रहा. यह डेढ़ घंटे में दस गीतों की मणिमाला थी जिसका हर मोती दमक रहा था. सुमित्रानंद पंत का भारतमाता ग्रामवासिनी हो या जयशंकर प्रसाद का अरुण यह मधुमय देश हमारा, बंकिम बाबू का वंदेमातरम हो या अशफ़ाक़ल्ला ख़ाँ का आरज़ू है तो बस इतनी रखे कोई ज़रा सी ख़ाक़ ऐ वतन कफ़न पर, श्री जानकी बैण्ड की हर प्रस्तुति पर मिला प्रतिसाद करिश्माई था. फ़िल्मी गीतों से हटकर हिदुस्तानी कवियो और शायरों की रचनाओं ने कुछ ऐसा समाँ बांधा कि जैसे गणतंत्र दिवस एक हफ़्ता पहले ही आ गया हो. माखनलाल चतुर्वेदी के गीत चाह नहीं मै सुरबाला के, भारतेंदु हरिशचंद के भारत में मची है होरी, बुंदेली परकम्मावासियों के राम भजन, और सुभद्रा जी के झाँसी की रानी गीत सबसे ज़्यादा पसंद किए गए. संजय पटेल और प्रीति दुबे ने कार्यक्रम का संचालन किया.

वीरेन्द्र गोयल, नारायण अग्रवाल, जनक मगिलिगन, ओमप्रकाश नरेडा ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. ज्योति जैन, स्मृति आदित्य, गरिमा संजय दुबे, पद्मा राजेन्द्र, अमर खनुजा चढ्ढ़ा, संगीता परमार, मोहन अग्रवाल, अनिल गोयल, अनिल मंगल, अरविंद जायसवाल और कमल कलवानी ने श्री जानकी बैण्ड के कलाकारों का अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया. बैण्ड के परिकल्पनाकार देविंदर ग्रोवर थे. हर गीत की धुन को मधुरता से बांधने का काम संगीतज्ञ डॉ. शिप्रा सुल्लेरे ने बखूबी अंजाम दिया. उन्नति तिवारी, श्रुति जैन, अर्पिता तिवारी, अनामिका वाजपेयी, मृणालिनी विश्वकर्मा, अदिति पटेल और चांदनी सेन के दमदार कंठ ने इन तरानों को सुरीलापन दिया तो मुस्कान सोनी की सितार, मनीषा तिवारी के ढोलक मानसी सोनी के तबला साथ से धुनों का आनंद दोबाला हुआ