GST का फैसला पुरानी कार बेची तो…खैर नहीं
अजब गजब फॉर्मूले आ रहे हैं वित्त मंत्री की तरफ से
वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने अब टैक्स के लिए अरबों रुपए वाले पुरानी कार के बाजार पर नजरें गड़ा दी हैं. यहां पर उन्होंने जो गणित पेश किया है वह इतना समझाने के लिए काफी है कि किस तरह सरकार टैक्स वसूलने के बजाए लूटना चाहती है. वित्तमंत्री का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पुरानी कार बेचता है तो उसे खरीदी गई कीमत और बेची गई कीमत के अंतर यानी डिफरेंस पर अठारह प्रतिशत का टैक्स देना होगा. इसे सीधे गणित में यूं समझिए कि यदि आपने आठ लाख में कार ली थी और अब उसे एक लाख में बेच रहे हैं तो सरकार चाहती है कि सात लाख रुपए पर आप अठारह प्रतिशत टैक्स दें. यानी आपने जिस कार को एक लाख में बेचा है उस पर सरकार का टैक्स एक लाख छब्बीस हजार रुपए का बनता है. आपकी कार तो बिक ही जाएगी साथ ही सरकार पर आपकी 26000 की उधारी भी चढ़ जाएगी.
बात यहां भी खत्म नहीं होगी क्योंकि यदि कार पंद्रह साल पुरानी है तो उसका फिर से रिजस्ट्रेशन कराकर सौदा करना होगा जो फिर हजारों में जाएगा और जब आप आरटीओ में नाम ट्रांसफर कराने जाएंगे तो वह भी सरकारी फीस जमा कराने के बाद ही हो सकेगा. वह भी तब जबकि इसमें आपने एजेंट का सेवा शुल्क वगैरह तो जोड़ा ही नहीं है. चलिए पंद्रह साल वाली बात न भी मानें तो भी जो गाड़ी आपने एक लाख में बेची है उस पर आपका खर्च ड़ेढ़ लाख से ज्यादा तो सामान्य स्थितियों में ही लग जाएगा. इससे पहले वित्त मंत्री ने पॉपकॉर्न के तीन अलग वेरिएंट पर तीन अलग टैक्स स्लैब लगा कर भी यह तो बता ही दिया था कि सरकार किस कदर इस बात र आमदा है कि आपकी जेब में दो पैसे बच न जाएं. वित्त मंत्रालय को इतनी फुरसत जरुर थी कि वह अलग अलग पॉपकॉर्न को लेकर यह फैसला करता बैठे कि कौन से फ्लेवर पर कितना अैक्स लगाएं लेकिन यह फैसला करने का समय किसी के पास नहीं है कि इंश्योरेंस पर जो जीएसटी लगाने की मांग चल रही है उस पर एक बार तो विचार हो जाए. फिलहाल, जब तक वित्त मंत्री इस प्रस्तावित टैक्स को वापस नहीं ले लेतीं तब तक पुरानी कार को बेचने का इरादा टाल ही दीजिए और इंतजार कीजिए कि किसी दिन तो निर्मलाजी आम लोगों के हिसाब से सोचेंगी.