Zakir Hussain तबले के उस्ताद की सांसों से लय टूटी
रविवार को उनकी सेक्रेटरी ने मृत्यु की जानकारी दी जिसे परिवार ने गलत बताया था
तबले को अपनी थाप से नए सुर देने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया. पिछले दिनों पहले उनके दिल ने थोड़ी तकलीफ दी थी लेकिन इस बार उन्हें खून के उतार चढ़ाव के चलते तबले से दूर अस्पताल की शरण लेनी पड़ी थी. सेन फ्रांसिस्को में जब उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया था तब इस बात का किसी को अंदाजा नहीं था कि उस्ताद के तबले अब कभी उनकी अंगुलियों की थिरकन महसूस नहीं कर सकेंगे. इस मामले में तब दुविधा की स्थिति पैदा हो गई जब उनकी सेक्रेटरी के हवाले से रविवार रात ही यह खबर दे दी गई जिसे आकाशवाणी, दूरदर्शन सहित प्रसार माध्यमों ने फैला भी दिया लेकिन उनके भाई और बहन ने खबर को गलत करार दे दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने भी इसकी पुष्टि कर दी. पद्म भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित उस्ताद को लेकर स्वरांगी साने की इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ हम सभी की उन्हें सादर श्रद्धांजलि…
तबला नवाज़
स्वरांगी साने
तबले पर थिरक रही हैं
अंगुलियाँ
चेहरे पर मुस्कान
यह ‘स्व’ का आनंद है
जो उसे बना रहा है ‘तबलची’ से ‘तबला नवाज़’
‘झपताल’ के
‘धी ना धी धी ना’
का लड़कपन है
तो ‘धमार’ का
‘क धि ट धि ट धाs’
का संयत भाव भी।
इस ‘धा’ पर सम आई है
गर्दन हिला कर बता रहा है वह
और इस ‘तिरकिट’ पर
घूमी हैं अंगुलियाँ
उसकी गर्दन और चेहरे का स्मित हास्य भी
क्या है ऐसा
जो तबला बजाते हुए
उसे आनंदित कर रहा है
नाच रहा है उसका
ऊर्ध्व शरीर
ऊर्ध्व की ओर हो रही है उसकी गति
उसके लिए यह तबले पर थिरक रही हैं
अंगुलियाँ
चेहरे पर मुस्कान
यह ‘स्व’ का आनंद है
जो उसे बना रहा है ‘तबलची’ से ‘तबला नवाज़’
‘झपताल’ के
‘धी ना धी धी ना’
का लड़कपन है
तो ‘धमार’ का
‘क धि ट धि ट धाs’
का संयत भाव भी।
इस ‘धा’ पर सम आई है
गर्दन हिला कर बता रहा है वह
और इस ‘तिरकिट’ पर
घूमी हैं अंगुलियाँ
उसकी गर्दन और चेहरे का स्मित हास्य भी
क्या है ऐसा
जो तबला बजाते हुए
उसे आनंदित कर रहा है
नाच रहा है उसका
ऊर्ध्व शरीर
ऊर्ध्व की ओर हो रही है उसकी गति
उसके लिए यह मोक्ष का सोपान है.