Data Theft, Online Fraud और पीएम को पत्र
अमेरिका से मनजी का भारतीय प्रधान मंत्री मोदी जी को खुला पत्र
सेवा में,
प्रधान मंत्री कार्यालय
भारत सरकार
नई दिल्ली
श्रीमंत प्रधानमंत्री जी-
आज आपके संज्ञान में एक मुद्दा लाना चाहता हूँ जो कदाचित आज विकट समस्या नहीं है किंतु आने वाले समय में बन सकती है. मुद्दा है- भारतीय स्कैमस्टर द्वारा विदेशी नागरिकों को ऑनलाइन फ्रॉड द्वारा लूटना.
सर- बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि डिजिटल इंडिया की नींव में भारतीय ऑनलाइन स्कैम अंतरराष्ट्रीय लेवल पे एक घुन भाँति देश की अर्थव्यवस्था में घुस चुका है. इस स्कैम के बारे में पहले भी इस प्रोफाइल के ज़रिए लिखा है- इस पत्र में स्टेप बाय स्टेप मुद्दा कुछ ये है.
जैसा सर्वत्र ज्ञात है भारत में अनेकों विदेशी कंपनी के ऑफिस है, ऑफशोर सर्विसेज भारत की कंपनी प्रदान करती है- डेटा चोरी इस स्कैम का पहला चरण है. डेटा थेफ़्ट अमेरिका में भी होता है और भारत की तरह ढेरों देशों में भी होता है. किंतु डेटा थेफ़्ट के क़ानून और दंड अमेरिका में बहुत सख़्त है और भारत में डेटा थेफ़्ट को लेके कितना गंभीर दंड है, कितना गंभीर प्रशासन है और कितनी गंभीर ये कंपनी है- ये सर्वविदित है. डिजिटल इंडिया का पहला कदम इस डेटा चोरी को रोकने और कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए. ये अब तक मिसिंग है.
डेटा चोरी होने के बाद अनेक स्कैम करने वाले गैंग खुले आम गुरुग्राम , कलकत्ता , मुंबई आदि में कॉल सेंटर चलाते है और ये विदेशी नागरिकों को वॉइप कॉल से फ़ोन कर फर्ज़ीवाड़ा करते है. कंप्यूटर वायरस स्कैम, इनकम टैक्स स्कैम, रिटायरमेंट फण्ड स्कैम, गोल्ड स्कैम, प्रवासी क़ानून स्कैम, पासपोर्ट स्कैम – ये लिस्ट अंतहीन है जिसके ज़रिए भारतीय आपराधिक तत्व विदेशी नागरिकों को खुलेआम चूना लगा रहे है. इस का सबसे अधिक असर विदेशी सीनियर नागरिकों पे होता है क्यूंकि वे बहुत जल्दी इन फ्रॉड तत्वों के झांसे और ख़ौफ़ में आकर अपने जीवन भर की जमापूंजी और रिटायरमेंट फण्ड गवां देते है.
सर- किसी भी देश , इकॉनमी में डिजिटलाइजेशन का प्रथम चरण फ्रॉड एंड फाइनेंसियल क्राइम प्रिवेंशन होता है. ये चरण हमने भारत के डिजिटलाइजेशन में काफ़ी हद तक इग्नोर किया है. ना केवल भारत में ही जामताड़ा जैसे गैंग सक्रिय है बल्कि विदेशों में भी भारतीय स्कैमर्स की कुख्याति दिन ब दिन बढ़ रही है.
सर- आपके संज्ञान में कुछ आंकड़े रखना चाहता हूँ. वर्ष 2024 में अमेरिका में 47 बिलियन डॉलर के कुल स्कैम हुए है. इस में से अधिकांश हिस्सा भारत के स्कैमर्स के नाम है. भारत में ही पिछले वर्ष बीस मिलियन डॉलर के स्कैम हो चुके है. ये सब आंकड़े इंटरनेट पे रिलाएबल सोर्सेज द्वारा आसानी से उपलब्ध है.
अमेरिका और शेष विदेशी मुल्कों से लूटा गया ये पैसा किसी ना किसी तरीके से तो वापस ऑफशोर आ रहा है. दिल मानने को तैयार नहीं होता कि इतने बड़े स्कैम की जानकारी सरकारी एजेंसीज को नहीं है.
व्यक्तिगत तौर पर आपसे कहना चाहूँगा- ख़ुद के अनेक अमेरिकी परिचित है जिनके बुजुर्ग भारतीय स्कैमर्स द्वारा लूटे गए है. नतीजा है कि ऐसे लुटे हुए परिवार ना केवल भारतीयों से चिढ़ते है बल्कि भारतीय एक्सेंट , खाने आदि का खुल कर मज़ाक़ उड़ाते है, नफ़रत करते है.
इस खुले पत्र को बहुत लंबा खींचा जा सकता है. प्रार्थी महीने में कमसेकम दस बार से अधिक ऐसे कॉल्स, ईमेल , टेक्स्ट आदि से जूझता है. कुछ स्कैमर्स से बात भी की है, समझने की चेष्टा भी की है किंतु सब बेकार. भारत के यंगस्टर को इस फ्रॉड से मिले पैसे को ईजी मनी के रूप में एक आसान मार्ग मिला है जिसमे पकड़ा जाना बेहद कठिन है और लूटना बेहद आसान.
सर- इतिहास आपको डिजिटल इंडिया के निर्माता के रूप में याद रखें ना रखें किंतु इतिहास में ये अवश्य दर्ज होगा कि इस युग में भारत ने नाइजीरिया को फ्रॉड और स्कैम के क्षेत्र में पछाड़ दिया था.
आदरणीय प्रधान मंत्री जी- इस विषय पर कुछ कीजिए. भारत की साख दाव पर लगी है. यूट्यूब और सोशल मीडिया पर इन स्कैम के चर्चे भरमार फैल रहे है. 99 प्रतिशत भारतीय उचक्के नहीं है- हमें इस एक प्रतिशत फ्रॉड लोगों की बदनामी से बचाइये.
डिजिटल इंडिया को फ्रॉड प्रीविनेशन और साइबर क्राइम के फील्ड में बहुत सुधार की आवश्यकता है.
आशा है- किसी ना किसी रूप में ये खुला पत्र आप तक अवश्य पहुँचेगा!
भवदीय-
एक भारतवंशी प्रवासी!