June 20, 2025
Film

Bollywood में बड़े प्रोजेक्ट रुकने लगे, पैसा लगाने में डर रहे प्रोड्यूसर्स

अब तक चली आ रही लकीर पर बनी फिल्में नहीं चल रहीं जबकि ‘छावा’ जैसी थीम जमकर चल रहीं

बॉलीवुड के लिए 2023 से ही हालात बुरे चल रहे हैं और जो फिल्में अच्छा कर रही हैं वो मूल रूप से बॉलीवुड की सफलता नहीं हैं क्योंकि पिछले दो सालों में बॉक्स ऑफिस पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली फिल्में साउथ से हैं. इस साल भी अब तक छावा ने जो सफलता हासिल की है उससे बॉलीवुड के खुश होने की वजह नहीं बनती क्योंकि इसने जमे जमाए नामों को धता बता दी है. खबरें तो यह भी आ रही हैं कि बॉलीवुड के बड़े नामों और बड़े प्रोजेक्ट्स पर अब लगाम लग रही है और मामला कुछ कुछ कंगाली जैसा होता जा रहा है. पिछले साल में यदि साउथ के अलावा स्त्री2 को छोड़ दें तो बॉक्स ऑफिस पर किसी बड़े नाम या फिल्म ने कमाल नहीं किया है.
फिलहाल तो ईद पर सलमान खान अपना दम परखने वाले हैं. सलमान की ‘अलेक्जेंडर’ में तो रश्मिका मंदाना से ज्यादा स्टारप्राइज मिलने की उम्मीदें हैं, जिनकी पिछली तीन फिल्मों ने 3000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है. शाहरुख खान की इस साल कोई बड़ी फिल्म नहीं है और 2026 में किंग पर उनका काफी बड़ा दांव है. सनी देओल की ‘जाट’ 10 अप्रैल को आ रही है लेकिन वह छावा के रिकॉर्ड तोड़ने का दम नहीं रखती. रितिक रोशन की सारी उम्मीदें ‘वॉर 2’ पर टिकी हैं जो 14 अगस्त को रिलीज होना है. आमिर खान सितारे जमीन पर लाकर लालसिंह चड्‌ढा की असफलता को धोने का प्रयास करेंगे लेकिन क्रिसमस पर आने वाली इस फिल्म को भी फिल्मी गणित वाले ज्यादा उम्मीदों वाली बात नहीं मान रहे हैं. अक्षय कुमार के पास जरुर इस साल में काफी काम है और उनकी पांच में से तीन फिल्में इस साल आने की संभावना है. अक्षय की फिल्मों में सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट तो खुद उनकी फीस ही होती है. अजय देवगन की भी इक्का दुक्का ही फिल्में फ्लोर पर हैं. इस तरह देखें तो लगभग सारे बड़े सितारों में अक्षय कुमार और विक्की कौशल पर ही इस साल बड़े दांव लगे हुए हैं. यहां तक कि रणबीर कपूर के पास भी इस साल में बमुश्किल एक प्रोजेकट है और वह भी विक्की कौशल से शेयर करने पर. बताया जा रहा है कि प्रोड्यूसर्स ने कई प्रोजेक्ट्स से हाथ खींच लिए हैं और कुछ बड़े सितारों की फिल्में इसलिए नजर आ रही हैं क्योंकि वे खुद प्रोड्यूसर की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. दरअसल बॉलीवुड के लिए नया ट्रेंड भी समझ से बाहर का हो रहा है क्योंकि वो जिन थीम पर फिल्में बना रहे थे यानी करण जौहर छाप सिनेमा जितना बढ़ता हुआ लग रहा था उस पर अचानक ब्रेक लग गया है और ‘छावा’ ने तो एकदम नया ट्रेंड ही सेट कर दिया है. प्रोड्यूसर्स मान रहे हैं कि ट्रेंड को समझना मुश्किल है और ऐसे में बॉलीवुड फिल्मों में पैसा लगाना जोखिम का काम है. साउथ और छावा टाइप फिल्मों ने जौहर टाइप सिनेमा पर काफी हद तक अंकुश लगवा दिया है.