Pune Porsche Case दादा, पिता और बेटे का रिकॉर्ड खराब
पुणे में अपनी ढाई करोड़ की पोर्शे कार से दो आईटी इंजीनियर्स को कुचल देने वाने नाबालिग पर पुलिस ने अब बालिग की तरह केस चलाने की अनुमति चाही है क्योंकि वह शराब के नशे में धुत भी था. इस घटना से जुड़ी और भी परतें खुलती जा रही हैं और पता चल रहा है कि न सिर्फ यह नाबालिग बल्कि इसके परिवार की गतिविधियां भी समाज के अनुकूल नहीं रही हैं.
मंत्री के बेटे को तंग करने की शिकायत भी
खुद यह नाबालिग पहले महाराष्ट्र के एक मंत्री के बेटे को परेशान करता रहा है और इस बात की शिकायत के बाद भी उस पर स्कूल कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सका था. महाराष्ट्र के मंत्री के बेटे को तंग करने के बाद भी यदि उसे बचाने वाले मौूजद थे तो समझा जा सकता है कि उसके हौसले इतने तो बढ़ ही जाने थे कि वह पब से धुत होकर निकले और 200 की स्पीड में गाड़ी दौडा़ दे क्योंकि उसे पता था कि वह हत्याएं भी कर देगा तो उसे बचाने के लिए एक सिस्टम उसके साथ आ खड़ा होगा. वही हुआ भी, दो युवा कुचल गए लेकिन पहली फिक्र यह हुई कि कैसे इस लड़के को बचाकर किसी और को ड्राइवर बता दिया जाए, यह संभव नहीं था क्योंकि कुछ स्थानीय लोगों ने लड़के को ड्राइवर सीट से निकालर कर पीटा था इसलिए पुलिस को साधने की कवायद हुई, पुलिस ने हलके फुलके आरोप लगाकर बचाने की कोशिश की और फिर वह हुआ जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हुई यानी उसकाे निबंध लिखकर जाने दिया गया. यहां से शुरु हुआ सोशल मीडिया की ताकत का असर और जब अपनी बात मृतकों के परिजनों ने सोशल मीडिया तक पहुंचाई तब जो गुस्सा उमड़ा उसके बाद ही वह सब हुआ जो अब होता दिख रहा है.
रजिस्ट्रेशन ही नहीं गाड़ी का
लड़के के पिता को पकड़ा गयाय जो ढाई करोड़ की गाड़ी तो खरीद सकता था लेकिन दो हजार से भी कम की राशि सरकारी खजाने में जमाकर रजिस्ट्रेशन लेने में रुचि नहीं ले रहा था. सोचिए जो बाप अपने बेटे को एक शाम में 48 हजार की शराब पीने की अनुमति देता हो, पोर्शे जैसी गाड़ी खरीद देता हो वह दो हजार रुपए सरकार को नहीं देता. यह सब चल ही रहा था कि तीसरी खबर आई और वह ज्यादा चौंकाने वाली थी. इस लड़के के दादा जी यानी गाड़ी मालिक और कुचलने वाले नाबालिग के बाप के बाप जी छोटा राजन से जुड़े हुए थे.
पैसे ही नहीं रुतबे का भी गुरुर
अब इन तीनों कड़ियों को जोड़िए, दादाजी ने छोटा राजन के साथ मिलकर काम किया इसलिए अपराधी वाले गुण और काला पैसा जमकर आया. बिल्डर का हाथ यदि गैंगस्टर के साथ हो तो यह और खतरनाक जोड़ होता है जो दादाजी के बेटे और इस नाबालिग के बाप में नजर आया. वह सिस्टम की हर कड़ी को खरीदने के लिए मुंहमांगी कीमत दे सकता है लेकिन नियम से चलने के लिए दो हजार रुपए खर्च नहीं करता. ऐसे बाप की औलाद एक कदम और आगे, इंसान को इंसान न समझने वाला और मंत्री के बेटे तक को परेशान करने से न चूकने वाला. मंत्रीजी क्यों चुप रह गए होंगे? क्योंकि बात निकलती तो छोटा राजन कनेक्शन तक पहुंचती… आप यदि हिरासत में अपराधी को पिज्जा खिलााने और रिलैकस होने काे कहते पुलिस वालों से नाराज हैं या निबंध के बदले जमानत देने वाले जज से खुश नहीं हैं तो यह अच्छा संकेत है लेकिन समस्या के मूल तक जाने की कोशिश कीजिए जहां सिर्फ पैसा नहीं, हर तरह से दूसरों को चुप करा सकने का दम रखने वाले हर अपराध से बरी हैं… नाबालिग को परवरिश ही ऐसी मिली कि उसे इंसानों की जान की कीमत कभी समझ नहीं आनी थी और यह घटना इस मानसिकता का ही नतीजा है.