शादी को भी सस्टेनबल रखना जरुरी
डॉ (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन ने अपनी शादी की 36वीं वर्षगांठ पर रखी विशेष कार्यशाला
जिमी मगिलिगन सेंटर फोर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में अपनी शादी की 36 वीं वर्षगांठ पर जिमी मगिलिगन को याद करते हुए सस्टेनेबल मैरिज को लेकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत गोविंद माहेश्वरी के शंखनाद के साथ हुई, इसके बाद बहाई प्रार्थना जनक पलटा मगिलिगन द्वारा की गई.गौतम काले के संगीत गुरुकुल समूह के भावपूर्ण भजनों और डॉ लता शर्मा के प्रार्थना गीत के बाद प्रतिभागियों का स्वागत किया गया. प्रतिवर्ष होने वाली इस वर्कशॉप का उद्देश्य पारिवारिक जीवन को मजबूत करने पर जोर देना है क्योंकि परिवार ही समाज की पहली इकाई है. विवाह संस्था इस समाज में नींव काा काम करती है. सस्टेनेबल विवाह और सामंजस्यपूर्ण वैवाहिक जीवन की सीख ही हमें एक बेहतर दिशा दे सकती है. पर्यावरण के अनुकूल, स्वस्थ और खुशहाल विवाह समारोह आयोजित करने और स्थायी वैवाहिक जीवन की आवश्यकता है. यदि विवाह को योजनाबद्ध, संगठित, प्रबंधित तरीके से जिया जाए तो यह जमीनी स्तर से शुरू होने वाले सतत सामुदायिक विकास में सीधे योगदान देगा. इससे भारत को प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण भारतीय संस्कृति को पुनर्स्थापित करने, संरक्षित करने और बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलेगी.
आपसी विश्वास, पारदर्शिता, एकता, प्रेम और लैंगिक समानता जैसे कि पुरुष और महिला एक ही पक्षी के दो पंख हैं और दोनों पक्षों के परिवारों के साथ जोड़े के संबंधों को बनाए रखना. जनक पलटा ने बताया कि कैसे उनके पति और उन्होंने आदिवासी समुदाय की लड़कियों को सशक्त बनाने जैसा जीवन जीने का उद्देश्य चुना. जीरो वेस्ट शादियों पर भी उन्होंने अपने विचार रखे.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ प्रतिभा राजगोपाल प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) लोक प्रशासन आरसीवीपी भोपाल ने जनक दीदी को एक रोल मॉडल बताते हुए कहा कि हजारों आदिवासी जीवन संवारने वाले इस जोड़े से हमें विवाह ही नहीं पूरा जीवन प्रबंधन सीखना चाहिए. इस कार्यक्रम में प्रोफेसर राजीव संगल, पूर्व निदेशक आईआईटी बीएचयू और आईआईआईटी हैदराबाद ने मुख्य अतिथि बतौर संदेश दिया कि इस कार्यशाला से युवाओं को जागरूक और शिक्षित करने के साथ हीर सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक चुनौतियों के समाधान मिल सकेंगे. उन्होंने आध्याम व प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहने वाली जीवनशैली पर जोर दिया. उनकी पत्नी निशा संगल ने अपनी बेटी की जीरोवेस्ट विवाह की कहानी बताई. राजेंद्र ओचानी ने इस संदर्भ में एक गीत प्रस्तुत किया. कार्यशाला में उपस्थित नीलेश चौहान ने कहा कि इस कार्यशाला से उन्हें शून्य अपशिष्ट संबंधित एक कंपनी शुरू करने की प्रेरणा मिली है. इसी तरह प्रतिभागी सिद्धार्थ लोधी ने पत्तलों में खाना परोसने और प्लास्टिक से दूरी बनाने के अपने संकल्प के बारे में जानकारी दी. छात्रा टुटिना झा ने भी कार्यशाला से मिली प्रेरणा के बारे में बताया. प्रशिक्षु पद्मा जारवाल ने कहा कि 2020 से उन्होंने 125 स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों को इकोफ्रेंडली आइडिया के बारे में शिक्षित किया है. प्रतीक जैन ने भी अपनी बात रखी. कार्यक्रम में नेहा संगल, डॉ. दिलीप वाघेला, कीर्ति सिक्का, अदिति गौतम काले सृष्टि सिसौदिया, भारत, भारती बत्रा और नित्या भी कार्यक्रम में भागीदार रहे. डीएवीवी के सामाजिक विज्ञान एवं अर्थशास्त्र के छात्रों ने इस कार्यशाला को उपयोगी बताया. वीरेंद्र गोयल ने सभी उपस्थितों का धन्यवाद दिया.