Volkswagen का आर्थिक संकट कितना बड़ा है
ई सेगमेंट से उम्मीदें भी टूट रहीं, डीजलगेट का भी असर
2024 की पहली छमाही में फॉक्सवैगन का मुनाफा 14 प्रतिशत तक कम हुआ है. वैसे इसी दरमियान बीएमडब्ल्यू 15 प्रतिशत और मर्सिडीज ने भी 16 प्रतिशत की कमी देखी है. डीजल गेट कहे जाने वाले मामले में कंपनी ने अमेरिकी मुकदमों में 14.7 अरब डॉलर की सेटलमेंट राशि चुकाने वाली है जबकि जर्मनी में इस मुकदमे की अभी कोई राशि तय नहीं हुई है.
फॉक्सवैगन ने अपने चीफ विंटरकॉर्न समेत कई अफसरों को हटा दिया है और अब बड़ी संख्या में कर्मचारियों को हटाने की तैयारी बताई जा रही है. यहां तक कि कंपनी सप्लाई चेन पर भी नए सिरे से काम कर रही है. कंपनी ने ई कारों पर ध्यान देने की बात कहते हुए पेट्रोल और डीजल कारों की असेंबली लाइन में कटौती करने के संकेत दे दिए हैं.
जर्मनी सरकार ने काफी कोशिश की कि फॉक्सवैग्न ट्रैक पर बनी रहे लेकिन यूक्रेन और रुस के बीच युद्ध के चलते सरकार को ही सैन्य खर्च बढ़ाना पड़ गया और इसके चलते जिस ई सेगमेंट पर भारी छूट के चलते फॉक्सवैगन ने खूब उम्मीदें लगाई थीं वही छूट खत्म हो गई. नतीजा यह हुआ कि जर्मनी में रोजगार देने वाली सबसे बड़ी इस प्राइवेट कंपनी ने 87 साल के इतिहास में पहली बार अपने कुछ प्लांट्स बंद करने तक का निर्णय ले लिया.
माना जा रहा है कि अकेले जर्मनी में फॉक्सवैगन 30 हजार लोगों को हटाएगी. दुनिया भर में साढ़े छह लाख की वर्कफोर्स वाली इस कंपनी का लक्ष्य बचत के जरिए बचे रहने का है. चूंकि ई कारों के मामले में कंपनी दूसरसी प्रतिस्पर्धी कंपनियों से पिछड़ ही चुकी है इसलिए माना जा रहा है कि फॉक्सवैगन के लिए यह संकट अस्तित्व का भी संकट बन सकता है. हालांकि अब भी जर्मन सरकार इस कोशिश में है कि वह अपने प्रयासों से इसे बचा ले लेकिन दिक्कत यह है कि इसके सबसे बड़े ग्लोबल बाजारों में इसके ब्रांड्स की डिमांड भी कम होती जा रही है. टोयोटा के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी जिसके पास पोर्शे, बेंटली, लैंबार्गिनी, डुकाटी और ऑडी से लेकर स्कोडा, कुप्रा, मान, स्कैनिया और सिएट जैसे ब्रांड हैं, उस कंपनी की आर्थिक हालत ऐसी हो गई है कि उसे सरकार से मदद की उम्मीद लगाना पड़ रही है.