June 21, 2025
तीज त्यौहार

अनंत चतुर्दशी विशेष- गणेश विसर्जन का महत्व और हमारी प्रार्थना

गणपति की विदाई की घड़ी और उनके आशीष की आकांक्षा

लम्बोदर गणपति ज्ञान के देव हैं और विवेक के सबसे उपयुक्त ईश्वर हैं और शिवनंदन शुभदाता हैं, हर अच्छे कार्य की शुरुआत को श्रीगणेश करना कहते हैं और हर कार्य का शुभारंभ इन्हीं से होता है. गणेश को विघ्न विनायक ओंकार स्वरुप माना गया है. उनका स्मरण सभी मनोरथों को पूर्ण करता है. गणेशोत्सव की दस दिनी धूम के बाद जब बप्पा की विदाई की बेला आती है बार बार यह सवाल उपजता है कि जिन गौरीनंदन की महिमा का गान नहीं हो सकता. जो एकदन्त मंगलमूर्ति हैं, जो सबके कष्ट-क्लेश दूर करते है. जिन विघ्नविनायक की भक्ति शुभ फलदायकहै. जो रिद्धि सिद्धि के स्वामी हैं उन गजानन के आगमन से सुगन्धित्त हमारे घर आंगन से उनकी विदाई क्यों और इस सवाल का जवाब हमें अपने पुराणों से यही मिलता है कि पार्थिव अर्थात मिट्टी का विसर्जन का आशय यह याद दिलाना है कि अंत में तो मिट्टी में ही मिल जाना है. यहां विसर्जन शब्द पर गौर कीजिए, सर्जन यानी निर्माण और उसके बाद विसर्जन भी उतना ही आवश्यक. गणेश शिव के पुत्र हैं और शिव के हिस्से वह कार्य भी है जो बिना शिव हुए संभव ही नहीं है और वह है विसर्जन का कार्य.

बप्पा आते हैं तो हम उनसे आशीष मांगते हैं कि वे हमारे विचारों को उन्नत करें. कलुषित विचारों व दुर्भावना को क्षीण करें. बुद्धि और विवेक की स्नेहिल छाया दें और जीवन के भटकाव को खत्म कर उस दिशा में ले जाएं जहां विसर्जन भी उल्लासपूर्ण हो. महाकाल के इस लाल में शिव सी सरलता है. सिर्फ एक तांबूल में उनका निवास मानकर भी पूजन कर दें तो भी वे कार्य की सिद्धि में विलम्ब नहीं करते. ईश्वर के इस विधान में यदि जीवन में विघ्न सुनिश्चित हैं तो विघ्नविनायक भी उतनी ही सहजता से उपलब्ध हैं. इस विदाई की वेला में यही प्रार्थना है कि विघ्नहर्ता हमारे बुद्धि और विवेक को समस्त कार्यों को निर्विघ्न करने की शक्ति प्रदान करें. वे हमारे जीवन में विघ्नों से मुक्ति प्रदान करें व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें.