3500 BC के अवशेष और सरस्वती नदी के चिन्ह मिले राजस्थान में
मिल ही गया सरस्वती नदी का पता
अब विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी को लेकर एएसआई यानी भारीतय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बड़ा दावा कियया है और कहा है कि उसे राजस्थान के बहज गांव में 3500 से 1000 ईसा पूर्व पुरानी सभ्यता के बेहद अहम अवशेष मिले हैं. सरस्वती नदी की चैनल भी इस क्षेत्र में मिली है जिससे साफ है कि यह पूरी सभ्यता इस नदी के किनारे ही थी. कुछ मीटर की गहराई पर जो प्राचीन नदी तंत्र मिला उसे ऋग्वेद में बार बार जिक्र होने वाली सरस्वती नदी का माना जा रहा है. ये सभी अवशेष चार महीने की खुदाई के बाद 15 मीटर की गहराई में मिले हैं. राजस्थान में एएसआई के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट में चांदी और तांबे के प्राचीन सिक्के भी मिले हैं. इस प्राचीन सरस्वती नदी के किनारे बसी सभ्यता को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे मथुरा के करीब सरस्वती बेसिन की सांस्कृतिक विरासत भी जुड़ती है.
मिट्टी के खंभों से बने भवन और भट्टियों जैसी संरचनाएं बताती हैं कि तब भी भारतीय सभ्यता कितनी उन्नत थी. लोहे और तांबे की वस्तुएं, औजार, मनके और शंख की चूड़ियां बताती हैं कि लागों में वास्तु कला का काफी ज्ञान था.. खास बात यह भी है कि खुदाई में कई यज्ञ कुंड, शक्ति पूजा के प्रामाणिक सबूत और शिव-पार्वती की टेराकोटा मूर्तियां भी मिली हैं. ब्राह्मी लिपि के जो सबूत यहां मिले हैं वे अब तक मिले सबसे पुराने नमूने हैं. इस खोज से इतिहास के कई अनछुए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं. सबसे बड़ी बात तो यह कि इससे सरस्वती नदी व इसके आसपास बसी सभ्यता के रहस्य सामने आएंगे.