CeaseFire की अमेरिकी घोषणा, जमीन पर लड़ाई जारी
अमेरिका का कहना है कि ईरान के न्यूक्लियर हथियार बनाने की क्षमता पूरी तरह खत्म, अब युद्धविराम
इजराइल और ईरान की लड़ाई में बीच में कूदे अमेरिका को जैसे ही नुकसान होना शुरु हुआ उसने सीजफायर की बात कह दी और ट्रंप प्रशासन ने इसकी घोषणा करते हुए यह भी कह दिया कि कतर की अगुवाई में होने वाली शांति वार्ता के लिए ईरान तैयार हो गया है लेकिन इस घोषणा के बाद भी इजराइल और ईरान ही एक दूसरे पर हमले नहीं कर रहे बल्कि ईरान की तरफ से अब अमेरिकी बेस यानी सैन्य अड्डे भी लगातार निशाने पर लिए जा रहे हैं. सीजफायर की घोषणा ट्रंपप और उपराष्ट्रपति वेंस की तरफ से हुई और यह भी बताया गया कि ईरान ने बातचीत की मंजूरी दे दी है लेकिन इसके बाद भी ईरान पर इजराइली और इजराइल पर ईरानी हमले जारी रहे. इजराइल का कहना है कि उसका लक्ष्य जब तक प्राप्त नहीं हो जाता वह रुकने वाला नहीं है, दूसरी तरफ ईरान ने भी इजराइल पर जमकर मिसाइलें दागीं जिनमें से कुछ इजराइली सिस्टम इंटरसेप्ट नहीं कर सका और उसे कुछ जानों का भी नुकसान उठाना पड़ा है. ईरान ने जहां अपने हमलों में कोई कमी का संकेत न देते हुए आसपास के अमेरिकी बेस पर भी निशाना जारी रखा वहीं इजराइली एजेंसी मोसाद ने खोमैनी का चित्र डालते हुए पूछा है कि क्या हमें यह जल्द खत्म कर देना चाहिए. इजराइल ने यह भी दावा किया है कि सभी महत्वपूर्ण जगहों के सीसीटीवी उसने हैक कर लिए हैं और इसमें वह अस्पताल भी शामिल है जिसमें कथित रुप से खोमैनी को इसलिए रखा गया है कि यदि अस्पताल पर हमला हो तो पूरी दुनिया को कहा जा सके कि इजराइल पने अस्पतालों पर भी हमले किए हैं.
इसी से जुड़ी बड़ी खबर यह भी है कि पूरी दुनिया पर असर डाल सकने वाले होर्मुज बे से तेल की सप्लाई को ईरान ने बंद नहीं किया है हालांकि इस रास्ते से जाने से सभी तेलवाहक जहाज बच रहे हैं और आसपास के क्षेत्र में लंगर डाल चुके हैं लेकिन अब माना जा रहा है कि ईरान इस खाड़ी को बंद कर अपना ही नुकसान करने से बचेगा और यदि वह इसे बंद करने जाता है तो उसके साथ खड़े देशों के भी उसके विरुद्ध हो जाने की आशंका है. चूंकि चीन जैसे देशों में भी बड़ी मात्रा में तेल यहीं से जाता है इसलिए भी ईरान इस पर कोई अंतिम निर्णय लेने से बच रहा था और ऐसे में यदि वाकई सीजफायर हो जाता है तो पूरी दुनिया को राहत मिलने की संभावना है क्योंकि जैसे जैसे इस युद्ध का दायरा बढ़ता जा रहा था, दूसरे देशों का इसमें शामिल होने का दबाव भी बढ़ता जा रहा था.