जीवन के विविध आयाम समेटे रेखाचित्र ‘कुछ यादें कुछ चेहरे’
ज्योति जैन की 2 नवप्रकाशित पुस्तकों ‘कुछ चेहरे कुछ यादें‘ और ‘श्वेत योद्धा‘ का लोकार्पण
-नैराश्य में हम कलम थामते हैं,तो शब्द हमें संबल देते हैं : ज्योति जैन
ज्योति जैन के रेखाचित्र त्रिआयामी हैं जो मन पर अंकित हो जाते हैं और आंखों को नम कर जाते हैं. उनका उपन्यास ‘श्वेत योद्धा’ सकारात्मकता के साथ चिकित्सासेवियों की मनोव्यथा को उकेरने में सक्षम है. उक्त बात साहित्यकार ज्योति जैन की पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर शामिल अतिथि चर्चाकार साहित्यकार श्री पंकज सुबीर और कथाकार गीताश्री ने कही.
ज्योति जैन की दो पुस्तकों का विमोचन 4 अगस्त 2024 रविवार को जाल सभागार में हुआ. इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. आरंभ में स्वागत उद्बोधन वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया. इन नव प्रकाशित पुस्तकों में उपन्यास ‘श्वेत योद्धा’ में जहाँ कोरोना काल में समर्पित चिकित्साकर्मियों की मन:स्थिति को रेखांकित किया गया है वहीं रेखाचित्र संग्रह ‘कुछ चेहरे, कुछ यादें’ में लेखिका ने अपने जीवन में आए व्यक्ति और घटनाओं के रेखाचित्र रचे हैं.
ज्योति जैन ने अपनी सृजन प्रक्रिया पर कहा कि जब मैंने रेखाचित्र पर सोचा तो कई किरदारों को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा पाया. वहीं मैंने अपने उपन्यास ‘श्वेत योद्धा’ की बच्ची को ग्रामीण परिवेश से लिया और नर्स नायिका इसलिए चुनी कि अपनी मां को इसी रूप में समर्पण से सेवाएं देते देखा. चिकित्सासेवियों के कष्ट को महसूस किया तो यह उपन्यास साकार हुआ.
साहित्यकार श्री पंकज सुबीर ने कहा कि इंदौर के आयोजनों की खासियत यह है कि यहां वरिष्ठ जन भी आपके श्रोता होते हैं. उन्होंने कहा कि उपन्यास श्वेत योद्धा में सब इतना श्वेत है कि श्याम की कोई जगह नहीं है. विभिन्न पात्रों से गुजरते हुए वे लिमडी के माध्यम से अंचल को भी ज़िंदा रखे हुए है. एक साहित्यकार के तौर पर लेखिका मालवा की सुगंध को जीवित रखती हैं.
सकारात्मकता की आवश्यकता अगली पीढ़ी के लिए भी है ताकि यह दुनिया रहने लायक बची रहे. यह उपन्यास विधा के सभी तत्वों पर खरा है. यह उपन्यास बुराई के दौर में अच्छाई ढूंढने की कोशिश है.
कथाकार पत्रकार गीताश्री ने इस अवसर पर कहा कि लुप्त होती हुई विधाओं में शामिल रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा वृतांत या व्यक्ति चित्र हैं, किंतु संस्मरण एलिट क्लास की विधा है, शब्द चित्र विलुप्त हो गया, रेखाचित्र मास की विधा है, आम इंसान की विधा है, हाशिए पर बैठे लोगों पर लिखी जाने वाली विधा है, रेखाचित्र का दायरा बहुत विस्तृत है, क्योंकि आम मनुष्य के जीवन के विविध आयाम हैं, रेखाचित्र ‘कुछ चेहरे कुछ यादें’ मनुष्यता की जीत की कहानी है. इंद्रधनुषी चरित्र इस रेखाचित्र संग्रह को समृद्ध करते हैं. हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र दुर्लभ हो चले हैं. लुप्त होती विधा को जीवन देने का काम यह पुस्तक करती है. अंग्रेजी में केरेक्टर स्केच लिखने की परंपरा बहुत व्यापक है, हिंदी साहित्य में चरित्र से अधिक कथा क्रम पर जोर होता है, हिन्दी में इस विधा से अपने पुरखों को याद किया जाए और विधा में नए आयाम जोड़े जाएं.
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अमर वीर चढ्ढा,सीमा जैन, गजेंद्र जैन,पुरुषार्थ बड़जात्या, सुभाष कुसुमाकर और शरद जैन ने किया तथा डॉ. किसलय पंचोली, यूएस तिवारी, मोनिका जैन, रजनी जैन, रुचि और चेतन कुसुमाकर ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये. इस अवसर पर शिवना प्रकाशन के शहरयार खान का विशिष्ट सम्मान भी किया गया.
कार्यक्रम का संचालन स्मृति आदित्य ने किया.सरस्वती वंदना प्रीति दुबे ने प्रस्तुत की और आभार स्वर्णिम माहेश्वरी ने माना.