ससुराल गेंदा फूल… और मायका??
डॉ.छाया मंगल मिश्र (शिक्षाविद, लेखक)
-‘सास ननद तो शक्कर की हों तो भी बुरी ही होतीं हैं.’इनमें घर में यदि जेठानी हो तो वो भी जुड़ जाती है. जबकि वो भी बहू होती है. ज्यादातर लोगों को बेटी के ससुराल की बुराइयां सुनने को कान तरसते रहते हैं. बचपन से उसे ससुराल के नाम से धमकाया जाता है. ब्याहते ही उसके ससुराल की बूंद-बूंद पंचायती चाहिए. मोबाइल नामक संजय की दिव्यदृष्टि से दिन-रात का ब्यौरा लेना इनका शगल हो जाता है जैसे इनकी बेटी किसी रणक्षेत्र में युद्ध के लिए उतरी है. जो या तो ससुरालियों को परास्त/वध कर विजयी होगी और राज करेगी या बेचारी शहीद हो जाएगी.
जमाना बदल गया है, अपनी सोच भी बदलें. कई उदाहरण हैं समाज में जहां बेटियों को तो शादी कर के टाल दिया जाता है पर उसके सपनों को पंख देते हैं ससुराल वाले. उसकी इच्छाओं को पूरा करते हैं, पढ़ाते-लिखाते हैं, अपनी बहुओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं, उनकी इच्छाओं का सम्मान करते हैं. तो दुष्टता देखिये ये दोगले उन्हें कमाई के लालची घोषित करते नहीं थकते हैं. जो काम इन्होंने अपनी बेटी के लिए करना था वो ससुराली कर रहे तो भी इन्हें दिक्कत.
सास के खिलाफ अपनी बेटी को भड़काना, ननदों/जेठानियों की निरंतर बुराइयां इनके लिए टॉनिक का काम करता है. एक और बात है जो मुझे समझ नहीं आती कुछ लोगों को अपनी बेटियों की शादी की खूब जल्दी होती है. जैसे तैसे शादी कर के पिंड छुडाएं. शादी होते ही उनकी बेटी उनके प्राण हो जाती है. उसके बिना अब उनका जीवन मुश्किल हो जाता है. यदि बेटी शहर में ब्याही है तो रोज रोज दर्शन अनिवार्य है. सारे रिश्तेदारों के घरों में बेटी को बगल में दबा के लेजाना इनकी शान बढाता है. और यदि किसी कारणवश नकारे की स्थिति बने चाहे बेटी के निजी कारण से ही तो भी ओहो! ससुराल वालों की के जुल्म का शिकार घोषित करने में देर नहीं लगाते.
अधिकतर ऐसे षड्यंत्रकारी दिमाग महिलाओं के ही ज्यादा चलते हैं. कहीं कहीं पुरुष भी अपने कुत्सित दिमाग का इस्तेमाल करने से बाज नहीं आते. पूरे पूरे दिन बेटी से फोन पर बार बार पूछताछ का फल ये होता है कि आपकी बेटी को उसका परिणाम भुगतना पड़ता है. वो कितनी ही समझदार, शालीन और गुणों की खान हो पर आपकी हरकतें उसकी बेइज्जती का कारण बनती हैं. आपके सच-झूठ के कारण आपकी बेटी को बहू के रूप में वो सम्मान देने में हिचकिचाहट होती है जिसकी कि वो हकदार है. आपके लक्षण उसके जीवनपथ में कांटे बोते है.
इसके अलावा इनके ऐसे कर्मों से इनके खुद के घरों में इनकी कोई इज्जत नहीं करता. इनकी बहुएं इनसे ही सीख कर इन्हें ब्याज सहित चुकता करने में भी देर नहीं करतीं. पर ये लोग ऐसे मगरमच्छ प्रजाति के प्राणी होते हैं कि बहू-बेटे के लिए अलग कानून तैयार रखते हैं. पर मजाल है बेटी के घर से इनका फोकस हट जाए. हमेशा बेटी के सज्जन ससुराल पक्ष का गाहे-बगाहे बिना कारण अपमान /बदनामी के कारण ढूंढना बताता है कि आपको आपकी बेटी के सुखी संपन्न जीवन और सुकून भरे जीवन से भयंकर रूप से द्वेष और इर्ष्या की आग लगी हुई है, जो आपके कमजोर मानसिक स्तर को रास नहीं आ रही तो जाइये आपकी जगह घर नहीं मानसिक चिकित्सालय है… आपको इलाज की सख्त जरुरत है.
