June 21, 2025
देश दुनिया

Sambhal के उदाहरण से समझें वक्फ के खेल को

दंगाइयों के पक्ष में कुछ नेताओं के खड़े होने के बाद खुला मामला

पिछले कुछ दिनों से राजनीति में सिर्फ वक्फ और वक्फ ही छाया हुआ है. कज गृहमंत्री ने वक्फ संशोधन बिल पास कराने के लिए बताया कि कैसे गांव के गांव वक्फ के दावे के शिकार हो गए और कैसे सैकड़ों लोगों की खेती की जमीन पर इसका दावा कर दिया गया लेकिन यूपी के संभल में तो एक बहुत ही बड़ा मामला हाथ लगा है. बताया जा रहा है कि संभल शहर की सात वर्ग किलोमीटर की जमीन पर वक्फ का दावा है जबकि शहर कुल जमा पांच किलोमीटर के दायरे में बसा हुआ है. यह सनसनीखेज मामला भी सामने न आता यदि संभल के दंगों के बाद वहां विपक्ष दंगाइयों के पक्ष में एकजुट होकर डीएम से मिलने न जाते और यह न कहते कि वक्फ की जमीन पर बसे लोगों के घर उजड़ रहे हैं इसलिए यह ज्यादती है. कलेक्टर ने दिए गए कागजों की जांच के लिए कमेटी बनाई तो कमाल की बा पता चली कि जितनी शहर में जमीन नहीं है उससे ज्यादा पर तो वक्फ का दावा है.

मजे की बात यह भी है कि यह सारी जमीन जिस व्यक्ति के द्वारा दान में दिया जाना बताया गया है, उसके नाम के अलावा उसके बारे में किसी को कोई जानकारी ही नहीं है. जिस व्यक्ति ने इतनी जमीन दान में दी यदि मान भी लें कि उसके परिवार में कोई नामलेवा नहीं बचा होगा तो भी उसके पूर्वज तो रहे ही होंगे और यह भ्ज्ञी पता होना ही चाहिए कि उस व्यक्ति के पास यह जमीन कैसे आई थी. दरअसल पूरे देश में यही पैटर्न है कि दान देने वाले का नाम कुछ भी बता दिया जाता है और कागज खोए हुए बता दिए जाते हैं लेकिन वक्फ का दावा बरकरार रहता है. ऐसे में जब बात आगे बढ़ती है तो भी उसका निर्णय वक्फ ट्रिब्यूनल में होता है जिसका निर्णय आसानी से समझा जा सकता है कि क्या होता होगा. अब मोदी सरकार जो संशोधन लाई है उसमें यह धांधली रुकने वाली है और यही बात उन लोगों को अखर रही है जिन्हें इससे जमकर फायदा होता रहा है.