Environment Week जलवायु संकट की त्रासदी से बचना है तो जैविक खेती अपनाना होगी
पर्यावरण सप्ताह के तहत जिम्मी मगलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित सप्ताह भर के संवाद में चौथे दिन जैविक खेती पर बात हुईं. सोशल इंटरप्रेन्योर वरुण रहेजा की प्रार्थना के साथ जनक पलटा मगिलिगन ने इंदौर, देवास, उज्जैन, शाजापुर, खरगोन जिलों के 20 गाँवों के जैविक किसानो का स्वागत किया. चौथे दिन का विषय भी जैविक खेती ही था जिसके तहत रसायन मुक्त भोजन, देशी बीज से जैव विविधता बचाने और जल के संरक्षण जैसी सभी पहलुओं पर बात हुई. जैविक सेतु के संस्थापक अंबरीश केला ने बताया कि दैनिक जीवन में हमारा स्वास्थ्य और कृषि, दोनों जलवायु परिवर्तन के अधीन हैं इसलिए हमें जैविक खेती को मुख्य विषय बनाना ही होगा और अब पूरी तरह से जैविक खाद्य पदार्थों का उत्पादन और उपभोग तय करना होगा. उन्होंने कहा कि यदि हम आज से खेती के जैविक तरीकों को अपनाएं तो अगले तीन से पांच साल में प्रकृति के नुकसान में कुछ हद तक कमी ला सकते हैं.
नष्ट होने वाले उत्पादों के लिए वरदान रहा सोलर ड्रायर
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. शेफाली संगल ने बताया कि पहले बगीचों और अन्य पौधों से अपनी औषधीय जड़ी-बूटियाँ तैयार करती थी लेकिन अब जैविक जड़ी-बूटियाँ मिलना बहुत कठिन होता जा रहा है. उन्होंने औषधीय पौधों की बिना रसायन वाली खेती करने का आवाहन किया. एंटरप्रेन्योर वरुण रहेजा ने बताया कि 6 साल पहले उन्होंने सोलर ड्रायर बनाने और फलों सब्जियों सोलर ड्राई करना सीखा और अब तक हमारी कंपनी भारत में 40000 से ज्यादा किसानो को फायदा पहुंचा चुकी है. पके हुए फल और सब्जियों की जो बड़ी मात्रा में खेतों में बर्बाद हो जाती उसी को सोलर ड्रायर की मदद से संरक्षित कर किसानों को फायदा पहुंचाने की कोशिश में हम जुटे हैं.
जैविक किसान आनंद ठाकुर ने कहा कि जैविक किसान विश्वास के दम पर अपनी चीजों के लिए बाजार बना सकते हैं. उन्होंने खेतों की सीमा पर पेड़ लगाने के फायदे भी बताए. जैविक किसान श्रीमती शुभद्रा कपाड़िया ने बताया कि सिर्फ 2 बीघा जमीन है होने के बावजूद जैविक रूप से फसल उगाने के माध्यम से पारंपरिक और पुराने बीजों का संरक्षण और बिक्री भी करती हूं. कई महिलाएं मेरे साथ जुड़ गई हैं क्योंकि महिलाएं चीजों को संरक्षित करने में स्वभावत; बेहतर होती हैं.
जनक दीदी की सहयोगी नंदा ने बताया कि सेंटर पर जैविक फसलें कैसे ली और सुरक्षित/संरक्षित की जाती हैं. सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक नितीश जसवानी ने बताया कि खाने का मुख्य फोकस पेट भरना नहीं बल्कि शरीर और मस्तिष्क को पोषण देना होना चाहिए. वर्षों तक रसायन आधारित खेती से मिट्टी ने अपनी खनिजयुक्त प्रकृति खो दी हैं. मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जाँच कराई जाये एवं मिट्टी की प्रकृति, अम्लीयता एवं क्षारीयता का परीक्षण किया जाये एवं उपयुक्त खनिजों की उपस्थिति की जाँच कराई जाए जिससे मृदा की सम्पूर्ण स्थिति की पता चल सके. कार्यक्रम में जैविक खेती करने वाले राहुल मालवीय और वैशाली मालवीय और मोनिका यादव के अलावा अलग अलग जिलों से करीब 20 जैवक कृषक भी उपस्थित थे.