June Month, Zoom Meet वामा साहित्य मंच ने ‘बचपन वाली गर्मियों की याद’ पर की बातें
यादों की फुहारों से भीगे मन, कभी मुस्कुराए, कभी हुए नम
गर्मी की छुट्टियों का आनंद हम बचपन में कैसे लेते थे इस विचार को ध्यान में रखकर वामा साहित्य मंच ने जून मास की मीटिंग ऑनलाइन आयोजित की. खास बात यह थी कि यह आभासी आयोजन विशेष रूप से वामा की उन सदस्यों के लिए रखा गया जो इंदौर से बाहर के शहरों और विदेशों में रहती हैं. यादों की गलियों से गुजरते हुए सभी ने अपने-अपने दिलकश अनुभव साझा किए. किसी को बचपन के इनडोर गेम्स याद आए तो किसी को कैरी का पना..किसी ने आम,इमली,करोंदे,खजूर,जामुन,फाल्से और शहतूत के साथ खट्टीमीठी यादें ताजा की तो किसी ने मामा के घर की स्वर्णिम यादों को सहेजा तो किसी ने कॉमिक्स के पात्रों को जीवंत किया.
देश विदेश से शामिल हुईं प्रतिभागी
ग्रीष्मकालीन अवकाश को लेकर ‘यादों की गली’, ‘मामा के घर जाएंगे’ जैसे विषयों के जरिए वामा सखियों ने अपनी रचनाएं सुनाई. पुणे, उज्जैन, सिंगापुर, अमेरिका,चंडीगढ़, जयपुर, उदयपुर, खंडवा, नागपुर, भोपाल, नई दिल्ली और मुंबई शहर से सखियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया. भिन्न-भिन्न स्थानों से शामिल वामा सखियों में मुख्य रूप से जया सरकार, संध्या गोयल, श्वेता सेन, स्वाति सागर, राजबाला गर्ग, नीरू भगत, अंतरा सिंह, ज्योति आप्टे, ज्योति सिन्हा, अंजली पोहनकर, वीणा वर्मा, शेफाली अम्बष्ट, निर्मला गिल, स्वाति ‘सखि’जोशी, प्रभा मेहता, कोमल वाधवानी, आशा गंगा शिरढोणकर, चंद्रकला जैन, सुनीता राठौर, नारायणी माया, माया बदेका, आरती चित्तौड़ा, सुधा व्यास, स्नेहा काले, श्रुति मेहता, सान्या, सरला व्यास व स्वाति की प्रस्तुति शानदार रहीं.
कार्यक्रम के आरंभ में अध्यक्ष इंदु पाराशर ने स्वागत उद्बोधन दिया. आयोजन का संचालन दिल्ली से अंजू निगम ने किया. सरस्वती वंदना बकुला पारेख ने और आभार सचिव शोभा प्रजापति ने माना. तकनीकी सहयोग सहसचिव अंजना चक्रपाणि मिश्र का रहा.