AAP के ‘पंजे’ से छूटी दिल्ली, भाजपा को 70 में से 48 सीट
अरविंद केजरीवाल की करारी हार, सिसोदिया भी हारे, कुल 22 सीट मिली आप को
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में 27 सालों बाद भाजपा को जीत का स्वाद हासिल हुआ है और दो तिहाई बहुमत के साथ उसने आम आदमी पार्टी के भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. ‘आप’ के लिए हालात कितने बुरे थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संयोजक अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री रहे सिसोदिया और बड़े मंत्री माने जाने वाले सतेंद्र जैन भी बुरी तरह हारे हैं. भाजपा को न सिर्फ बहुमत मिल गया है बल्कि यह आंकड़ा उससे कहीं आगे तक पहुंच गया है. दिल्ली चूंकि आम आदमी पार्टी का गढ़ रही है और यहीं से उसकी शुरुआत है इसलिए पंजाब में इस पार्टी की सरकार होने के बाद भी सवाल यही है कि इस पार्टी का अस्तित्व अब कितना बचेगा. दिल्ली का किला ढह जाना और खुद केजरीवाल का चुनाव हार जाना पूरी पार्टी के लिए बहुत बड़ा सदमा तो है ही साथ ही इससे इंडी गठबंधन का भी अस्तित्व मुश्किल में पड़ गया है. जिस तरह कांग्रेस और आप दिल्ली की लड़ाई में आमने सामने लड़े हैं केजरीवाल की हार उसका भी नतीजा मानी जा रही है क्योकि कांग्रेस से उनके सामने संदीप दीक्षित खड़े थे और जितने वोट यानी लगभग चार हजार से केजरीवाल हारे हैं कमोबेश उतने ही वोट दीक्षित ने हासिल किए हैं, यानी ये दोनों पार्टियां आमने सामने नहीं होतीं तो शायद आप के लिए नतीजे इतने बुरे नहीं होते. दिल्ली चुनाव के नतीजों पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा ‘और लड़ो आपस में!’ इन शब्दों के साथ उन्होंने जो जिफ लगाया है उसमें लिखा है ‘जी भर कर लड़ो, समाप्त कर दो एक दूसरे को!’
केजरीवाल ने इन चुनावों में अपनी तरफ से हर हथियार को इस्तेमाल कर देख लिया था जिसमें महिला को कमान सोंपने से लेकर फ्री की घोषणाओं तक सब शामिल थाख् इसके बावजूद जिस तरह से आम आदमी पार्टी को दिल्ली ने नकारा है वह एक बड़े संदेश से कम नहीं है.