June 21, 2025
देश दुनिया

CJI ने पहले ही दिन बदली सुनवाई की व्यवस्था

एक दिन में कितना कुछ बदल गया
सुप्रीम कोर्ट में अब तक व्यवस्था यह चली आ रही थी कि कुछ बड़े वकील जाकर कह देते कि मामला आवश्यक है और इसे जल्दी लिस्ट करना होगा तो उसे बेंच पर ले लिया जाता था जबकि जो बड़े वकील या मुवक्किल के केस नहीं होते थे उनके लिए यह सुविधा कभी नहीं हो पाती थी. 11 नवंबर को सीजेआई बदले और पद संभालते ही नए सीजेआई संजीव खन्ना ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया. दरअसल सीजेआई खन्ना लंबे समय से ये खेल देख रहे थे. कुछ खास मामलों में कोर्ट रात में भी खुल जाती थीं जबकि कई महत्वपूर्ण केस तारीख पर तारीख वाले झमेले में ही फंसे रहते थे.

वैसे इस सबके पीछे के जो कारण हैं उनको भी समझना जरुरी है. जस्टिस खन्ना उस परिवार से आते हैं जिन्होंने इंदिरा गांधी के आपातकाल में सरकारी प्रभाव के आगे झुकने से मना कर दिया था और आपातकाल के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था. इससे नाराज हुई इंदिरा गांधी ने संजीव खन्ना के अंकल को सीजेआई के पद तक नहीं पहुंचने दिया और आखिर हंसराज खन्ना को इस्तीफा ही देना पड़ा. इससे ठीक उलट हाल ही में रिटायर हुए जस्टिस वायवी चंद्रचूड़ के पिता ने इंदिरा गांधी को उस दौर में अपने स्तर पर मदद ही की थी. यही वजह थी कि उनसे खुश इंदिरा ने उन्हें सीजेआई बनने में पूरा सहयोग दिया और वे लंबे समय तक पद पर रहे भी. सीजेआई खन्ना निजी स्तर पर भी बेहद ईमानदार और उसूलों के पक्के हैं और वे अपने बच्चों को भी यही संस्कार देते आए हैं. वे तो सीजेआई बनने के बाद भी सरकारी बंगला लेने के इच्छुक नहीं हैं जबकि ऐसे भी उदाहरण रहे हैं जहां चीफ जिस्टिस ऑफ इंडिया का बंगला सजाने में भारी भरकम खर्च किए जाते रहे हैं.