आसान नहीं नेट जीरो कार्बन का लक्ष्य
ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) का मानना है कि भारत में इस्पात और सीमेंट संयंत्रों का नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़ना एक मुश्किल राह पर चलने जैसा है. इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय में 47 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरूरत पड़ेगी. यही नहीं नेट जीरो कार्बन के लिए इन दोनों क्षेत्रों को ऑपरेटिंग कॉस्ट भी हर साल एक लाख करोड़ रुपये से बढ़ानी होगी. सीईईडब्ल्यू का कहना है कि इस्पात और सीमेंट उद्योगों में डीकार्बोनाइजिंग करने से जलवायु बेहतर करने में मदद मिलेगी और क्वालिटी में भी अच्छा असर होगा लेकिन इससे जुड़े खर्च भी अपनी जगह हैं. दरअसल पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर बार बार यह बात आती रही है कि हमें नेट जीरो कॉर्बन लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए और इसी संदर्भ में हर इंडस्ट्री को लेकर यह बात समझी जा रही है कि किस इंडस्ट्री का इस दिशा में कितना और कैसे योगदान संभव है. सीईईडब्ल्यू ने सीमेंट और इस्पात को लेकर यह लक्ष्य मुश्किल इसी वजह से बताया है कि ये सबसे बड़े पॉल्युटेंट सेक्टर माने जाते हैं और इनके पास इस दिशा में बढ़ने के जो विकल्प हैं वे काफी महंगे साबित हो सकते हैं.