Russia ने बताया स्टील प्लांट पर पाकिस्तान से समझौते की खबर झूठी
दो दिन से खबर चल रही थी कि रुस ने 1970 के दशक में लगाए पाकिस्तान वाले स्टील प्लांट पर करार किया
रुस को लेकर एक खबर आई कि उसने पाकिस्तान के एक बंद पड़े स्टील प्लांट को चालू करने के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाया है और यह करोडों का प्रोजेक्ट रुस के साथ उसकी दोस्ती की नई शुरुआत हो सकता है. यह ज्यादा बड़ी बात इसलिए भी नहीं होनी थी क्योंकि यह प्लांट संयुक्त रुस यानी यूएसएसआर के समय पर दोनों देशों के बीच समझौते से ही बना था लेकिन फिर भी भारत के लिए यह कान खड़े करने वाली खबर हो सकती थी. खबर की बिना जांच पड़ताल किए और रुस से पक्ष पूछे ही खबर वालों ने इसे फैलाना शुरु कर दिया और मोदी विरोधी मीडिया को तो इसमें विशेष रस आने लगा इसलिए तुरंत बड़े बड़े विशेषज्ञ भी इस पर ज्ञान देने लगे कि यह तो हमारी विदेशनीति की भारी असफलता ही हो गई. यहां तक कह दिया गया कि ऐसे समय में ऐसी शुरुआत का मतलब है कि बात ज्यादा ही बिगड़ गई है और इस बारे में लेख तक छप गए लेकिन… इसी बीच रुस की तरफ से एक सफाई आई. रूस की तरफ से अधिकृत रुप से कहा गया कि न तो इस पाकिस्तानी स्टील प्लांट को चलाने को लेकर कोई बात हुई है और न ही निकट भविष्य में ऐसा कुछ होने जा रहा है. यह बयान भी इतने पर नहीं रुका बल्कि आगे इसे पाकिस्तान की शैतानी बताते हुए कहा गया कि भारत और रुस के प्रगाढ़ संबंधों को कमजोर करने की नीयत से यह समाचार जानबूझकर फैलाया गया है और इस बात के लिए पाकिस्तान के हुक्मरानों की तरफ इशारा भी कर दिया गया.
अब वे सारे विशेषज्ञ इधर उधर झांक रहे हैं जो इसे विदेशनीति के असफल होने का बड़ा उदाहरण बता रहे थे और वो लेख जो छाप दिए गए थे अब अपने ही लिखने वालों को मुंह चिढ़ा रहे हैं. वैसे ऑपरेशन सिंदूर के समय से ही देखें तो यह कम से कम दसवां ऐसा मौका होगा जब मीडिया ने बिना जांचे परखे झूठी खबर चला डाली, द हिंदू जैसों ने तो पाकिस्तानियों के दावों को ही सख्च मान कर भारत के विमानों के गिराए जाने की खबर तक चला दी थी जिसके दम पर विपक्ष के नेता आज तक पूछ रहे हैं कि कोई तेा भारत के कितने विमान गिरे. दैनिक भास्कर की एक खबर को आज बीजेपी के अधिकृत हैंडल से फेक बताया गया जिसमें घर घर सिंदूर बांअे जाने की बात थी लेकिन हद यह है कि किसी फेक न्यूज फैलाने वाले पर कार्रवाई नहीं हो रही है.