UPSC में गरीब, विकलांग और इंटरव्यू वाला खेल क्या इस बार भी हुआ
गरीबी और विकलांगता के प्रमाणपत्र लगातार सवालों के दायरे में, इंटरव्यू में 200 अंक लेने वाले 10.9 प्रतिशत तक बढ़े
यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2024 के परिणाम जारी होने के साथ ही सफल उम्मीदवारों के फोटो, सक्सेस स्टोरीज और उनके इंटरव्यू चारों तरफ छाने लगे. भेड़ चराने वाले के सिलेक्शन को आगे कर बताने की कोशिश की जा रही है कि सब चंगा है लेकिन जिनका सिस्टम से एक बार भरोसा उठ चुका है वो इस बार भी सवाल तो उठा ही रहे हैं. कटऑफ लिस्ट से पता चल रहा है कि अब यूपीएससी ज्यादा प्रेडिक्टेबल है. सब्जेक्ट सिलेक्शन से लेकर पैटर्न तक समझना उतना उलझन भरा नहीं रहा है लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिन पर भरोसा अब भी कायम नहीं हो पा रहा है और उसमें पूजा खेड़कर घपला मामले का बेस यानी ओबीसी एनसीएल और ईडब्ल्यूएस वाले मामले तो इस बार भी शंका के दायरे में ही हैं. एक और मजेदार तथ्य यह सामने आ रहा है कि मेन एक्जाम में अंक अब उतने नहीं आ रहे जितने अब तक आया करते थे लेकिन इंटरव्यू में बड़ी दिलेरी से नंबर दिए जा रहे हैं और इस बार तो इंटरव्यू में 200 अंक लेने वालों का प्रतिशत 10.9 तक पहुंच गया है. महज पांच साल पहले यानी 2019 में यह आंकड़ा तीन प्रतिशत हुआ करता था.
कुछ लोग मान रहे हैं कि गणित जैसे सब्जेक्ट इंटरव्यू में कम काम आते हैं और ह्यूमैनिटीज में ज्यादा मार्क्स आ जाते हैं इसलिए इन विषयों पर जोर है और इसी के चलते इंटरव्यू में ज्यादा नंबर आने संभव हुए हैं लेकिन जिस तरह से कई मामलों में यह पता चला है कि मिलीभगत के खेल से यूपीएससी भी अछूती नहीं है इसलिए इंटरव्यू के बढ़ते नंबरों पर शंका करने वालेां की भी कमी नहीं है. इस बार की टॉपर शक्ति दुबे के कुल 1043 अंक हैं जिनमें से 843 अंक मेन एक्जाम के हैं और 200 इंटरव्यू के हैं. यूं भी यह टॉपर के हिसाब से पिछले पांच सालों में कम अंक हैं. यूपीएससी तर्क देती है कि लिखने की आदत का खत्म होने के चलते मेंस में नंबर कम आ रहे हैं. जबकि ऑप्शनल सब्जेक्ट में ऐसे विषय ज्यादा चुने जा रहे हैं जो इंटरव्यू में भी काम आते हैं. फिलॉसफी, साइकोलॉजी, हिस्ट्री और जियोग्राफी वाले ह्यूमैनिटी सब्जेक्ट ज्यादा लिए जा रहे हैं और गणित जैसे विषय कम. इस बार की सूची में भी ईडब्ल्यूएस को लेकर केंडिडेट्स की असलियत पर सवाल उठने लगे हैं. गरीबी के सर्टिफिकेट के बारे में तो यह भी हो रहा है कि जिनके परिवार की मासिक आय ही ईडब्ल्यूएस की सालाना आय सीमा से ज्यादा है वो भी गरीब बनकर चुने जा रहे हैं और विकलांग सर्टिफिकेट वालों को तो आप देख ही चुके हैं कि जिन्होंने पैर खराब होने के प्रमाणपत्र दिए वे मस्त नाचते हुए रील बना रहे हैं और जिनकी आंखें खराब होने के प्रमाणपत्र लगे हैं वो गाड़ियां सौ से ऊपरकी स्पीड में दौड़ा रहे हैं. इस बार चुने गए एक कैंडिडेट ने गरीबी दिखाई है लेकिन उनके इंस्टा पर उनके हाथों में लाखों रुपए वचाले ब्रांडेड बैग वगैरह वाली गरीबी साफ नजर आ रही थी लोगों ने सवाल उठाया तो उन्होंने दो चार को ब्लॉक किया और जब देखा कि मामला उलझ रहा है तो इंस्टा अकाउंट बंद ही कर दिया. अभी तो सफल उम्मीदवारों की लिस्ट पिछले हफ्ते ही सामने आई है. परतें खोलने वाले इस बार भी जुटे हुए हैं कि पता तो करें, इस बार की एक्जाम के ‘पूजा खेड़कर’ कौन कौन हैं और यूपीएससी इन झूठे सर्टिफिकेट वालों के साथ क्या सुलूक करती है या इन्हें किसी शहर का राजा बनाकर भेजने के मिशन को पूरा कर ही लेती है.