Air India शिवराज को टूटी सीट और न सुधरने की कसम
प्राइवेट से सरकारी और फिर प्राइवेट हुई एयरलाइन कर रही मनमानी
एयर इंडिया निजी से सरकारी और फिर सरकार से निजी होने तक का पूरा एक सर्कल कर चुका है लेकिन मजाल है कि यह किसी भी दौर में सुधरने की कोशिश करता हुआ नजर आया हो. यात्रियों के साथ किस तरह यह एयरलाइदन व्यवहार करती है उसका एक उदाहरण को तो कृषिमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपने सोशल मीडिया से लोगों के सामने रख ही दिया है कि टूटी हुई सीट का भी पैसा लेने के मामले में एयर इंडिया ने केंद्रीय मंत्री तक को नहीं बख्शा. इस ट्वीट के बाद से एयर इंडिया का टाटा प्रबंधन लीपापोती में जुटा हुआ है लेकिन सच यही है कि एयर इंडिया में ऐसी सोच घर कर चुकी है जिसमें उसके सुधार के लिए बड़ी मुश्किलें हैं. चूंकि केंद्रीय मंत्री ने बात सामने रखी है तो केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री भी कार्रवाई करने के निर्देश दे रहे हैं लेकिन इस पूरे मामले में एक बड़ी बात यह भी सामने आई है कि विमान कर्मियों से यह पूछे जाने पर कि टूटी सीट थी तो आवंटित कैसे की गई, जवाब मिला कि प्रबंधन को सूचित किया जा चुका था कि यह सीट बैठने लायक नहीं है लेकिन ओवर टिकिटिंग की आदत से मजबूर प्रबंधन ने केंद्रीय मंत्री को भी उसी सीट पर बैठने को मजबूर कर दिया.
दरअसल यह किसी धोखे से कम नहीं है कि आप सर्ज प्राइज से लेकर तमाम मदों में पैसा तो जमकर लें लेकिन सुविधा के नाम पर आप शून्य की तरफ बढ़ने को ही अपनी महानता मानें. शिवराज को तो दूसरे यात्री अपनी सीट ऑफर करते रहे लेकिन उन्होंने एयरलाइंस को सबक गलती का अहसास दिलाने के लिए उसी टूटी सीट पर यात्रा की और फिर लिखा कि अगर आप पैसे लेते हैं तो सुविधा भी दें. एयर इंडिया ने जवाब में लिखा है कि आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है. हम विश्वास दिलाते हैं कि हम ऐसे मामलों में भविष्य में सावधानी बरतेंगे. हम आपसे बात करने के अवसर की सराहना करेंगे, कृपया हमें जुड़ने के लिए सुविधाजनक समय बताएं. उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने डीजीसीए से मामले की जांच करने को कह दिया है और चेतावनी देते हुए कहा कि कंपनी यदि कार्रवाई नहीं कर पाती है तो सरकार को दखल देना पड़ सकता है. हालांकि इस पर अब राजनीति भी शुरु हो गई है और कांग्रेस नेताआं ने महाकुंभ जा रहे यात्रियों की बात को इससे जोड़ कर एक नया रंग देने की कोशिश शुरु कर दी है.