April 30, 2025
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जिंदगी प्यार का गीत है…

  • डॉ.छाया मंगल मिश्र

भले ही लोगों के लिए प्यार का महिना फरवरी हो पर अपने जैसों के लिये तो बारह मास ही बसंत प्यार से लबालब हैं. मार्च की शुरुवात एक सच्ची, प्यारी, प्यार से पगी सीधी सी बात के साथ-
हेयर सलून में अपनी बेटी के साथ जाना हुआ. वहां हमारी मनमाफिक हेयर कटिंग को कुछ कर्मचारी जानते हैं सो वे ही आपको अधिकांश समय अटेंड करते हैं. ऐसे ही लकी नाम का एक युवा हमें अटेंड करता है. रात होने को थी, शाम गुजर चुकी थी. सैलून मे सभी को जल्दी हो रही थी. वो बड़े धैर्य के साथ कटिंग करता जा रहा था. फोन की रिंग बजी उसने मुझसे परमिशन मांगी ‘मेम फोन उठा लूं? वाईफ का है.’ ‘जरुर’ मैंने कहा. ‘अभी नहीं थोड़ा टाइम लगेगा’ उधर पूछा होगा घर आने में कितनी देर है? ‘ऐसा करो जाते हुए सब्जी रोटी पैक कराते हुए ही घर पहुंचो. कहां इतनी देर आप परेशान होओगे. थक भी गए होओगे. आते ही साथ में खाना खायेंगे.’ फिर बात जारी रखते हुए बोला ‘दिन कैसा रहा? काम बढ़िया रहा? आपको कोई परेशानी तो नहीं?’ लकी के हाथ भी चलते जा रहे थे. बात भी. ‘चलो, आप आराम करना, जब तक मैं आ जाऊंगा.’
यहां यह बताना ज्यादा जरुरी है कि इस बातचीत में जितना प्यार और परवाह का रस था उतनी ही सम्मान की मिठास उसे मधुर बना रही थी. फोन रखा तो मैंने पूछ ही लिया कि कहीं काम करतीं हैं वे? बोला ‘टाइटन घड़ी के शोरूम पर’ आगे कहा ‘वो भी सुबह से सब काम निपटा कर निकल जातीं हैं. दिन भर हो जाता है. सीजन में हम दोनों को ही लौटने में अक्सर देरी होती है तो हम ऐसा एडजस्टमेंट कर लेते हैं’ थोड़ा शरमाते हुए बोला. मैं बोली बाकी सब तो ठीक है पर अभी जिस टोन और आवाज में बातें करीं, हमेशा ऐसे ही बात करते हो? बोला ‘ हां मेम, हमारे घर यही सिखाया है. जोर से या ऊँची आवाज में तू तकारे से पत्नी से कभी बात नहीं करना वरना दूसरे भी चाहे वे बड़े हों या छोटे पत्नी की इज्जत नहीं करेंगे.’ मैं चकित थी और खुश भी कि जहां लोग संबंधों को संभाल नहीं पा रहे वहीं ऐसे रेशमी रिश्ते भी मौजूद हैं जो केवल मेहनत, प्यार, सम्मान और ईमानदार साथ के सहारे खुशबू फैला रहें हैं. इनके सुखी जीवन में पैसों का ढेर, रंगीनियत, दिखावा, पद-प्रतिष्ठा, डिग्रियों और लालची स्वार्थी रिश्तों के लिए कोई जगह नहीं. प्यार तो प्यार है…उसके लिए सिर्फ एक खूबसूरत दिल और भावनाओं का होना जरुरी है.