April 19, 2025
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Media Pulse क्या हम एकतरफा मीडिया चाहते हैं

नजर मीडिया पर- आदित्य पांडे
‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने इस बार तय किया है कि वह इस बार तटस्थ रहेगा और इसके मालिक जेफ बेजोस के इस निर्णय पर पूरे अमेरिका में ले दे मची हुई है क्योंकि जो अब तक का ट्रेंड रहा है उसके हिसाब से द वॉशिंगटन पोस्ट को कमला हैरिस को यानी बिडेन और ओबामा की डमी कों समर्थन देना था.

पूरी दुनिया में पत्रकारिता को लेकर बड़ी बड़ी बातें करने वाले इस अखबार को अब यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि वह अब तक खुलकर डेमोक्रेट्स का समर्थन करता रहा है लेकिन इस बार वह तटस्थ रहेगा. जेफ की खुलकर यह बात कहने की जिद के चक्कर में अखबार को डेमोक्रेट समर्थकों ने पानी पिला दिया है और धड़ाधड़ ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन कैंसल किए जा रहे हैं क्योंकि अमेरिकियों का मानना है कि उनके अखबार को एकतरफा होना चाहिए था और कमला को साथ देना चाहिए. आपको भी अचरज होगा कि एक व्यापारी कह रहा है कि वह तटस्थ रहेगा क्योंकि अखबार को निष्पक्ष होना चाहिए लेकिन उसके पाठक इस बात के लिए उसे सजा दे रहे हैं कि वह एकतरफा क्यों नही है.

इससे पहले जब एलन मस्क ने अभिव्यक्ति की आजादी की बात कहते हुए ट्विटर पर दांव लगाया था तब भी काफी हंगामा हुआ था क्योंकि तब ट्विटर के ग्राहकों को लग रहा था कि इस मजबूत सोशल मीडिया पर वाम विचारों वाली पकड़ कमजोर पड़ जाएगी और जब मस्क ने ट्रंप का खुलकर समर्थन करना शुरु कर दिया तब तो पूरा सोरोस इको सिस्टम ही हंगामे पर उतारु हो गया.

बेजोस की यह सोच बेजोड़ है लेकिन एक सवाल भी है कि यह बात उन्हें अब क्यों समझ आई कि एक अखबार को निष्पक्ष होना चाहिए और हद यह कि अब तक एकतरफा रहा यह अखबार खुद को पत्रकारिता के सबसे बड़े पैरोकार की तरह पेश करता रहा है. इस बार के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों ने जो सीधी रेखाएं खींची हैं बेजोस की यह कोशिश भी उसी का नतीजा है. बेजोस ने कमला को एंडोर्स करने से मना किया है और इसका सीधा अर्थ यह है कि वे भले ट्रंप के समर्थन में मस्क की तरह खुलकर न हों लेकिन वो कमला के साथ भी नहीं हैं. पिछले चुनावों में ही नहीं उससे पहले भी यानी राष्ट्रपति रहते हुए भी ट्रंप यदि फॉक्स न्यूज सहित कुछ संस्थानों से बुरी तरह चिढ़े हुए थे तो उसकी वजहें अब साफ हो रही हैं कि ये कहने के मीडियाई संस्थान जमकर राजनीतिक अखाड़े की मिट्‌टी में सने हुए होते हैं. बताया जा रहा है कि कमला को एंडोर्स न करने के की घोषणा के बाद से वॉशिंगटन पोस्ट की ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन में दस प्रतिशत की कमी आ गई है यानी इतने लोगों ने अपना सब्सक्रिप्शन कैंसल करा दिया है. यह थोड़ा अजीब दौर है जहां अखबार के पाठक इस बात की जिद पर अड़े हैं कि उसे एकतरफा होना चाहिए जबकि एक व्यापारी और मीडिया मालिक कह रहा है कि वह निष्पक्षता चाहता है, माना कि इसाके पीछे बेजोस के अपने गणित होंगे लेकिन कमला के पक्ष में खड़े न होने पर सब्सक्रिप्शन कैंसल करने की पाठकों की जिद तो समझ से परे ही है.