घर की अनबन, मत जलाओ तन-मन, दूर रहें बंदर जैसे रिश्तेदारों से
एक घर की लड़ाई,अन्य घरों का मजा…
डॉ.छाया मंगल मिश्र
– ब्लॉग- बंदर बांट कहानी सुनते पढ़ते रहे हैं. दो बिल्लियों की लड़ाई में कैसे बंदर उनकी रोटी तराजू में तौलने के बहाने बराबर हिस्से करने के बहाने पूरी की पूरी रोटी उन्हें बेवकूफ बना कर हजम कर जाता है और बिल्लियां भूखी ही रह जातीं हैं. ऐसे ही यदि आपके परिवार में आपसी विवाद हैं, और कोई तीसरा बाहरी व्यक्ति चाहे वो कितना ही अच्छा रिश्तेदार ही क्यों न हो, यदि उसे न्यायाधीश बनाया तो समझो उसके हाथ में डमरू दे दिया और अब आप नाचो उसके इशारे पर. वो अपने आपको महान बुद्धिमान समझने लगेगा.
चाहे उसे उसके घर में दमड़ी सांटे इज्जत न मिलती हो. मुखिया बन बैठेगा आपके परिवार का. उन्हें आपके झगड़े सुलझाने नहीं खुद के मनोरंजन का मौका मिल जाता है. सारी बातें लाग लपेट कर दुनिया में उजागर करता है और खुद को निर्दोष साबित करता है. आपस की लड़ाई या विवाद उनके लिए टाइम पास होते हैं. बिना खर्च के मजा.
ये लोग बड़े विस्फोटक होते हैं. रिश्तों को बम बना कर फोड़ने वाले. इनकी कोशिश रहती है दोनों पार्टियों को भरे समाज में आमने सामने तैनात करें, यदि एक पक्ष समझदारी से कटना चाहे तो अपने प्रेम, सम्मान, रिश्तों की दुहाई दे कर उसे ब्लेकमेल करें और फिर झगड़े की बत्ती में आग लगाएं उसे सुलगाएं फिर वैमनस्य की नदियां बहाकर उसमें ये खुद के सुकून की नाव चलाते हैं.
ये इतने चालाक होते हैं कि दोनों के हितैषी बन कर उनके हिस्से का सुख-आनंद खुद के नाम करते, दोनों की गलतफहमियां दूर न हो जाएं कहीं इसकी पूरी मुस्तैदी रखते हैं. अब आप बने रहिये इनके डमरू की आवाज पर नाचने वाले भालू. ये मदारी. इन्हें शगुन अपशगुन से कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसे कई रिश्ते, लोग आपकी जिन्दगी में भी दखलंदाजी करते होंगे. आप कुछ कह/कर नहीं पाते होंगे. पर सीखिए अब अपनी निजता पर काबू करना.
आपके रिश्ते अपने हैं. नितांत निजी मामले हैं. आपस में बैठ कर विवाद सुलझाइए. बात कीजिये. रूठिए-मानिए-मनाइए. गलती लगे तो माफ़ी भी मांगिए. पर ऐसे रिश्तों के प्रेम का तराजू किसी बंदर के हाथ में मत जाने दीजिये क्योंकि वो आपके सुख सुकून की रोटी को इधर ज्यादा, इधर ज्यादा का भ्रम पैदा कर रिश्तों की सारी मिठास खुद खा जायेगा और आपको मिलेगा केवल अकेला, खोखला, फीका जीवन जिसे आप समझदारी से रसीला खुशनुमा मजेदार बना सकते थे. यूं ही थोड़ी कहते हैं “एक घर की लड़ाई अन्य घरों का मजा…”