दो विकलांग बच्चों के माता-पिता तीसरे स्वस्थ बच्चे को गोद ले सकते हैं: उच्च न्यायालय
मुंबई – बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि यदि दो विकलांग बच्चों वाले दम्पति तीसरे स्वस्थ बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी मुंबई के एक दम्पति द्वारा दायर याचिका पर की तथा संबंधित प्राधिकारी को छह सप्ताह के भीतर उनके मामले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) द्वारा 2023 में लिए गए फैसले को रद्द कर दिया है। कारा ने अद्यतन 2022 दत्तक ग्रहण नियमों के तहत तीसरे बच्चे को गोद लेने के दंपत्ति के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उसके पहले से ही दो बच्चे हैं।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यदि दम्पति नई उम्मीद की तलाश में हैं तथा परिवार में एक अतिरिक्त सदस्य का स्वागत करने की क्षमता के बारे में आशावादी हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने आदेश में कहा, इस तरह जीवन को अधिक सार्थक बनाने की इच्छा पूरी हो सकती है। अदालत ने कहा कि दत्तक ग्रहण नियम 2022 में नियमों में ढील देने की शक्ति के लिए कुछ प्रावधान हैं, खासकर ऐसी परिस्थितियों में। अदालत ने कहा कि कानूनी प्रावधानों की व्याख्या इस तरह से नहीं की जानी चाहिए कि दो विकलांग बच्चों के माता-पिता को तीसरे स्वस्थ बच्चे को गोद लेने से रोका जा सके।
मानव जीवन स्वयं आशा, अपेक्षाओं और चुनौतियों से भरा है। बच्चों के साथ मजबूत रिश्ते ही जीवन को सार्थक बनाते हैं। दम्पति ने 2022 के नियम लागू होने से पहले पंजीकरण करा लिया था। अदालत ने यह भी कहा कि उस समय 2017 के नियम लागू थे।
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