World Environment Week के सप्ताह भर चले कार्यक्रमों का समापन
विश्व पर्यावरण दिवस सप्ताह में पूरे सात दिन हुई पर्यापरण पर बात
जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने पर्यावरण विषय पर सप्ताह भर चलने वाले संवाद का आयोजन किया, जिसका विषय यूएनईपी द्वारा वर्ष 2025 के लिए दिया गया है. विश्व पर्यावरण दिवस के अंतिम दिन जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में कार्यक्रम आयोजित किया गया. जनक पलटा ने प्रार्थना से कार्यक्रम की शुरुआत की और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम अन्य कार्यक्रमों में जान और समझकर सस्टेनेबल जीवन शैली को अपनाने के अनुभव बताए. जीरो वेस्ट, प्लास्टिक फ्री, सस्टेनेबिलिटी पर जोर देते हुए उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने का सुझाव दिया और कहा कि प्लास्टिक से बचने यही एक समाधान का है.
ह्रदय विशेषज्ञ डॉ. भरत रावत ने कहा कि सादगी के साथ जीवन जीने की आवश्यकता होती है हम सभी को यह सीखना चाहिए. पैसा अधिकार देता है जो पर्यावरण के क्षरण की ओर ले जाता है, सीमित ज़रूरतें जो कुछ भी है वही हमें संतुष्टि प्रदान करती है जिससे प्राकृतिक संसाधन भी संरक्षित रहते हैं, जबकि आवश्यकता से अधिक खरीदने से अधिक हम कचरा पैदा करते है. इसके बाद, कार्यक्रम में नित्या बत्रा द्वारा एक सुंदर कथक नृत्य प्रदर्शन किया गया, जिसमें प्रदूषण और पर्यावरण के क्षरण के कारण मां प्रकृति की पीड़ा और आक्रामकता को दिखाया गया. श्री वरुण रहेजा ने अपनी इंटर्नशिप के दौरान डॉ जनक पलटा मगिलिगन से सोलर ड्रायर के बारे में सीखने के लिए आभार व्यक्त किया और अपनी कंपनी रहेजा सोलर फ़ूड प्रोसेसिंग के माध्यम से “स्थानीय उत्पादन” को बढावा देने का संकल्प लिया, शुरुआत भारत में आंगनवाड़ी, मातृ एवं शिशु कार्यक्रम में स्थानीय फलों से बने लड्डू (मिठाई) प्रदान करने से हो होगी.
श्रीमती शुभा चटर्जी (प्रिंसिपल आईएटीवी इंदौर) ने 11 साल बाद बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी पूरा करने के अपने अनुभव को साझा किया और अब वे प्लास्टिक के फोल्डर की जगह प्लास्टिक कचरा कम करने की पहल कर रही हैं, बच्चों से प्लास्टिक के बजाय स्टील का लंच बॉक्स लाने को कह रही हैं. उन्होंने खुद को प्लास्टिक बताते हुए एक सुंदर प्रेजेंटेशन भी दिया और बताया कि प्लास्टिक पर्यावरण को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है.
वैद्य शेफाली ने सिल्वर स्प्रिंग्स के लोगों द्वारा लिए गए संकल्प के बारे में बताया जिसमें समाज के आयोजनों में बर्तन बैंक की स्थापना, ऑनलाइन शॉपिंग कम करना और डिस्पोजेबल का उपयोग नहीं करना शामिल है.
प्रोफेसर राजीव संगल ने मालवांचल विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा उपयोग न प्लास्टिक की बोतलों का करने की पहल को साझा किया, उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि पैसे से संसाधन नहीं खरीदे जा सकते. उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम खरीदने में खर्च शून्य है, केवल परिवहन और अन्य गतिविधियों पर खर्च होता है वातावरण. उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि मानसिक रूप से इस समस्या का समाधान पर्यावरण संरक्षण की पहल करके किया जा सकता है, जिसकी शुरुआत खुद से करनी होगी.
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अनुराग शुक्ला ने कहा कि सस्टेनेबिलिटी को पैसे से नहीं खरीदा जा सकता, जीने के लिए 5 बुनियादी मानवीय ज़रूरतें हैं हवा, पानी, भोजन, आश्रय और मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य, इस तरह जीने से स्वच्छ और हरियाली भरा वातावरण बनता है. मुख्य अतिथि पद्मश्री सुशील दोशी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि काम या पहल, कड़ी मेहनत और रुचि दोनों से पूरी हो सकती है. पर्यावरण के प्रति आभारी होने से इसे संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयास होगा, अंत में उन्होंने कहा कि जीवन का मतलब सभी के साथ सद्भाव से रहना है. उन्होंने जनक पलटा मगिलिगन के प्रति अपना विशेष सम्मान व्यक्त किया जो हम सभी को प्रकृति और खुद को बचाने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने के लिए सभी को जोड़ती हैं! वीरेंद्र गोयल ने प्लास्टिक कचरे कम करने की शपथ लेने पर सभी को धन्यवाद प्रेषित किया.