August 6, 2025
इंदौर

Sustainable living ही कल का भविष्य- डॉ. पलटा

सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह के कार्यक्रम में बताया गया इसका महत्व
सस्टेनेबल लिविंग केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि यह आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है. हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाते हुए जल, ऊर्जा और संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके. यह विचार मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने अपने स्वर्गीय पति जिम्मी मगिलिगन की 14 व़ी पुण्यतिथि पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह (15 – 21 अप्रैल, 2025) के पांचवे दिन श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस द्वारा पर्यावरण संरक्षण और सतत जीवन शैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित कार्यशाला ‘सस्टेनेबल लिविंग ‘ में उनके साथ किये गए सेवाकार्यों के बारे बताया “इंदौर में बरली डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट फ़ॉर रूरल वुमेन के मेनेजर रहे देश यू.के. को छोड़ भारत में बहाई पायनियर और 25 वर्षों तक रहे. उन्हें की सेवाओं को मध्य भारत में सोलर किचन विकसित करने में अग्रणी के रूप में याद किया जाता है . उन्होंने इस संस्थान के कैंपस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर “सतत विकास” के मॉडल के रूप में विकसित किया पहले सोलर किचन की स्थापना की जिसपर जो 150 व्यक्तियों के लिए खाना बनाती है, एक साल में 300 दिन लकड़ी और 9 गैस सिलेंडरों की बचत हर महीने, जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल के पानी संरक्षण खेती की तकनीक उन्होंने झाबुआ और धार जिलों के स्कूल हॉस्टल के साथ-साथ अनाथालय के श्रद्धानंद आश्रम में भी बड़े सौर समुदाय के रसोई घर बनाए और स्थापित किए. उनके नेतृत्व में घरेलू उपयोग के लिए 500 से अधिक सोलर कुकर देश के विभिन्न ग्रामीण और आदिवासी समुदायों में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. . जनक और जिम्मी ने वहाँ गाँव सनावदिया में घर बनाया, लेकिन इसके पूरा होने से पहले उन्होंने सोलर एंड विंड पावर स्टेशन बनाया और स्थापित किया, जो दिसम्बर, 2010 से गाँव के 50 आदिवासी परिवारों को मुफ्त बिजली की आपूर्ति कर रहा है और अब जनक उन्हें निशुल्क बिजली दे रहीहै . अप्रैल21, 2011 को एक सड़क दुर्घटना में उनके दुखद निधन के बाद, वह मानव सेवा के लिए समर्पित हैं और उन्होंने 183000 से अधिक लोगों को सतत विकास का प्रशिक्षण दिया है और हर साल एक सप्ताह समर्पित करती हैं उनकी याद में विशेष रूप से सस्टेनेबल स्किल वाले लोगों को सशक्त बनाना है .उन्होंने अपने अनुभवों और कार्यों के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया कि वे बाज़ार से केवल चार वस्तुएं खरीदती है चाय पत्ती, नमक और जैविक गुड. वह कचरा नहीं पैदा करती, प्लास्टिक या रसायनों का उपयोग नहीं करती, घर में कचरा दान भी नहीं है. यह भी बताया कि अपने दैनिक जीवन में सतत जीवन शैली अपनाकर पृथ्वी प्रकृति और सभी प्रनिओय को बचा सकते हैं.सतत जीवन क्यों आवश्यक है और हम इसे कैसे
इस अवसर पर अतिथि वक्ता डॉ. समीर शर्मा, सीईओ, स्वाहा रिसोर्स सॉल्यूशंस ने विद्यार्थियों को नवाचार और सतत उद्यमिता की दिशा में प्रेरित किया. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि अब समय आ गया है कि हम पारंपरिक सोच को बदलें और पर्यावरण हितैषी व्यवसाय मॉडल की ओर बढ़ें. उन्होंने कई सफल सस्टेनेबल स्टार्टअप्स के प्लास्टिक कचरे में कमी, अपशिष्ट प्रबंधन, एयर पूरीफिकेशन और अन्य कई उदाहरण देकर यह बताया कि कैसे युवा उद्यमी समाज और पर्यावरण दोनों के हित में काम कर सकते हैं और साथ ही व्यावसायिक सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं.
संस्थान के निदेशक डॉ. जॉर्ज थॉमस ने अपने स्वागत भाषण में डॉ. जनक पलटा मगिलिगन द्वारा पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि डॉ. पलटा का जीवन और कार्य सतत जीवन के उत्कृष्ट उदाहरण हैं.
मंच का संचालन सुश्री निधि दुबे ने किया. इस अवसर पर मेंनेजमेंट विभागाध्यक्ष (यूजी) डॉ. दीपा कटियाल, प्राध्यापकगण, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.