स्मृति शेष- जिनकी चरण वंदना ईश्वर भी करें, ऐसे गुरु सिंगी सर
- आदित्य पांडे
उनकी शिक्षा क्लास रुम और किताबी परीक्षाओं से बढ़कर जीवन में काम आती हैं हमें
पुरोहित सर और जैन सर क्लास के बाहर से झांक कर जा चुके हैं और सिंगी जी की क्लास बदस्तूर जारी है, एक के बाद दूसरी और फिर तीसरी… और क्लास में कोर्स वाली पढ़ाई चल रही हो, ऐसा भी नहीं. उस क्लास में बाकी छात्र क्या सीखे मुझे नहीं पता लेकिन मेरे दिमाग में एक वाक्य हमेशा के लिए अंकित हो गया ‘नेवर डिस्पाइज एनीवन फॉर व्हाट ही/शी कांट हेल्प’… ऐसी एक नहीं कई बातें जो आज शब्दश; दोहरा सकता हूं, इन वाक्यों ने जिंदगी में राहें सुझाई हैं, मुश्किल समय में साथ दिया है और जीवन का फलसफा समझाया है. एक दिन बोर्ड पर लिखा ‘जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स, मास्टर ऑफ नन’ यह कब और क्यों प्रयुक्त किया जाने वाला वाक्य है, यह समझाया… और उसके बाद डस्टर से none के आगे का N हटाकर इसे फिर पढ़ने को कहा. अब वाक्य था ‘जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स, मास्टर ऑफ वन’ बोले, जीवन में यह करने की कोशिश करो. एक चीज में मास्टरी और वो भी कमाल स्तर की, साथ में बाकी चीजों में दखल भी.
उनकी क्लास में कॉमर्स के अलावा भी छात्र कर पीछे बैठ जाते थे और कई बार तो वो प्रोफेसर भी पीछे बैठे होते जिन्होंने उनसे ही पढ़ा और अब जो महाविद्यालय में प्रोफेसर हो चुके थे.
मुझे एडमिशन से पहले ही अचानक टकरा गए थे और जब पता चला कि मेरे साइंस में 12 वीं के अच्छे नंबर्स होने के बाद भी मैं कॉमर्स में आ रहा हूं तो कुछ दिन का समय देकर बोले अच्छी तरह सोच लो और इसमें मदद करने का तरीका यह बताया कि एक कागज पर साइंस और कॉमर्स को लेकर फायदे नुकसान से लेकर अपनी मजबूती और कमजोरी सब लिख डालो और यह भी बता दिया कि मैंने अपने दोनों बेटों की शादी के लिए भी विकल्पों में से चुनाव ऐसे ही किया.
जितने समय उनसे पढ़े यह लगता कि इस क्लास का अंत क्यों हो जाता है लेकिन यह विधि का विधान ही है कि उनकी क्लास तो क्या उनका जीवन भी पिछले दिनों समाप्त हो गया. पत्नी के बिस्तर पकड़ लेने के बाद सालों साल जिस तरह उनकी देखभाल सर ने की वैसा उदाहरण कम से कम मैंने तो कहीं नहीं देखा. पिछली बार जब इंदौर में उनसे आरएल जैन सर के साथ मिलने पहुंचा तो उनका खराब तबियत के बीच भी आतिथ्य देखा और रिश्ते निभाने की उनकी आदत के साथ कमाल की जिजीविषा देखी. ऐसा होने लगा था कि अपनी ही बात वे भूलने से लगे थे लेकिन उनकी बातें हम भूल सकें यह इस जन्म में तो संभव नहीं होगा. जिन चंद नामों को में अपने आप से हर पल बात करता सा पाता हूं सिंगी सर उनमें से एक थे और उन्होंने जो सीखें दी थीं उनसे डिगने का साहस आज भी नहीं हो पाता. श्री चरणों में वे अपनी ओर से अमूल्य किताबें लिखकर पहले ही अर्पित कर चुके थे और श्रीजी उनके जीवन, उनके संदेश और उनके जीवन संदेश से इतने तो प्रभावित होंगे ही कि उन्हें विशेष स्थान देंगे बल्कि आदर से उनके लिए खड़े भी हो जाएं तो अचरज नहीं. आदरणीय रामकृष्ण सिंगी सर के लिए हम सभी छात्रों का अश्रुपूरित नमन…