July 28, 2025
इंदौर

शिवाजी की गुप्तचर संघटना पर रोचक कार्यक्रम

शिवाजी की शक्ति और सफलता में गुप्तचर संघटना का महत्वपूर्ण योगदान था

संचार विशेषज्ञ ,मीडिया उद्यमी,रणनीतिक मामलों के विश्लेषक नितिन गोखले ने शिवाजी के 351 वें राज्याभिषेक पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि छत्रपति महान योध्दा थे और उन्हें गुप्तचर व्यवस्था में महारत थी. वे दुश्मन पर तभी हमला करते थे जब वे उनके बारे में पूरी जानकारी ले लेते थे. शिवाजी के पास बहिर्जी नाम के विश्वसनीय जासूस थे जो उनके गुप्तचर विभाग में मुखिया के पद पर थे. गोखले जाल सभागार में छत्रपति के इस कौशल पर सुशीला कला मंच द्वारा आयोजित सौ शोभा कुटुंबले स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे . छत्रपति शिवाजी तथा समकालीन शासको की गुप्तचर संघटना जैसे जटिल विषय पर बेहद सरलता से बात रखते हुए गोखले ने आगे कहा कि शिवाजी ने दक्षिण में आदिल शाही, निजाम शाही और उत्तर मे औरंगजेब के मुगलो के आक्रमणों का मुकाबला पूरी कुशलता से किया. औरंगजेब का मामा शाइस्ता खान अपने एक लाख सैनिकों के साथ शिवाजी से मुकाबला करने आया लेकिन शिवाजी के सैनिकों के सामने वह टिक नही पाया क्योंकि शिवाजी ने महारत के साथ प्राप्त जानकारियों के आधार पर पता लगा लिया कि उसकी योजना क्या है और फिर उस तक गलत जानकारियां पहुंचवा कर उसे उलझा दिया. अंत में शाइस्ता खान की बहुत बड़ी सेना पर शिवाजी ने मात्र 400 सैनिको के साथ विजय पा ली. शिवाजी गुरिल्ला युध्य मे माहिर थे और उनकी इस पद्धति को उनके बाद के कई शासको ने अपनाया यहां तक कि आज भी इस पर कई देश अध्ययन कर रहे हैं. शिवाजी साम, दाम,दंड, भेद का इस्तेमाल कर युद्ध जीतते थे.
शिवाजी के इस गुण को रेखांकित कर उन्होंने श्रोता बिरादरी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व चीफ जस्टिस वी एस कोकजे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व इतना बहुआयामी है कि उसे एक व्याख्यान मे नही बांधा जा सकता. संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने मुगलों को पराजित कर हिंदवी सम्राज्य की स्थापना की. स्वागत उद्बोधन में श्रीनिवास कुटुंबले ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन चरित्र इतिहास में विलक्षण, अद्भुत और चमत्कारी व्यक्तित्व के रूप में सामने आता है. शिवाजी धर्मनिष्ठ थे. उन्होंने समर्थ गुरु रामदास से हमेशा प्रेरणा ली और दासबोध उनका कवच था. कार्यक्रम की शुरुआत श्रीनिवास कुटुम्बले द्वारा लिखित छत्रपति शिवाजी राज्याभिषेक गीत छत्रपति हुए शिवराया से हुई.


अतिथि स्वागत आकांक्षा कुटुंबले, अरविंद केतकर, आशुतोष कुटुंबले,दिलीप कवठेकर, दर्पण भालेराव, डॉ. मिलिंद दांडेकर ने किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ, ज्योति जैन ने किया। आभार माना श्रीनिवास कुटुंबले ने किया.कार्यक्रम में बाबा साहेब प्रदीप तराणेकर, संस्कृतिकर्मी जयंत भिसे, कृष्ण कुमार अष्ठाना,अनिल त्रिवेदी, मुकुंद कुलकर्णी, डॉ. मोहन बांडे, सुधाकर काले, अजीत सिंह नारंग, मनोहर देव, अश्विन खरे, प्रफुल कस्तुरे, विवेक गोरे, प्रथमेश देसाई, चंद्रकांत भालेराव, मुकेश जैन, संपत झवर, अतुल सेठ, कैलाश त्रिवेदी, अरविंद जवलेकर ,विनोद गुप्ता सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे.