Police की वर्दी फाड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग
पुलिस द्वारा कथित तौर पर पिटाई के बाद वकीलों ने हाइकोर्ट के सामने हंगामा करते हुए पुलिस से की थी बदसुलूकी
शनिवार को इंदौर हाइकोर्ट के सामने जिस तरह से वकीलों ने प्रदर्शन कर पुलिस पर ही हमला बोला उसे लेकर पुलिस कर्मियों में तो आक्रोश है ही उनके समर्थन में रिटायर्ड पुलिस कर्मचारियों का संगठन भी उतर आया है. होली के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने में जुटे पुलिस कर्मियों के साथ एक वकील और उसके बेटों ने बदतमीजी की और जब पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए इन्होंने इंदौर हाइकोर्ट के सामने हंगामा खड़ा करवाते हुए पुलिस पर हमला ही कर दिया. जिस वकील ने मारपीट का आरोप पुलिस पर लगाया है उस पर पहले भी धमकाने जैसे आरोप लगे हैं.
जिस तरह की अफरातफरी इंदौर हाइकोर्ट पर शनिवार दोपहर में इन लोगों ने खड़ी कर दी थी उससे न सिर्फ यातायात अस्तव्यस्त हो गया बल्कि लोगों में दहशत भी फैल गई कि क्या कोई बहुत ही बड़ा मामला हो गया है. वैसे सवाल पुलिस की प्रतिक्रिया पर भी लग रहे हैं कि कैसे एक दिन पहले की घटना को मुद्दा बना कर वकीलों को इतना आतंक फैलाने की छूट दे दी गई, कैसे महज चंद कदमों की दूरी पर स्थित कंट्रोल रुम को खबर ही नहीं लगी और फोर्स को भी नहीं भेजा गया. रिटायर्ड राजपत्रित पुलिस कर्मियों के संगठन यानी सेवानिवृत्त राजपत्रित पुलिस अधिकारी संगठन कल्याण समिति ने 15 मार्च को हुई इस घटना पर अपना विरोध दर्ज कराया है और पुलिस के साथ मारपीट या झूमाझटकी जैसी प्रवृत्ति को अक्षम्य अपराध बताया है. संगठन ने घटना में शामिल प्रत्येक दोषी को नामजद करने और कठोरतम कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके. संगठन के सचिव गिरीश सुबेदार ने इस संदर्भ में कहा है कि सार्वजनिक लोकव्यवस्था बनाए रखने और पीड़ित पुलिस कर्मियों के प्रति न्याय के लिए दोषियों पर कार्रवाई आवश्यक है.