National Librarian Day पर कविताएं, लेख और नाटक भी
लाइब्रेरियन ज्ञान के खजाने के संरक्षक
12 अगस्त ज्ञान और सूचना की दुनिया के लिए एक विशेष दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन भारत के ‘पुस्तकालय विज्ञान के पिता’ के रूप में प्रसिद्ध आदरणीय डॉ. एसआर रंगनाथन का जन्मदिन होता है. उनके योगदान के सम्मान में यह दिन हर साल नेशनल लाइब्रेरियन डे के रूप में मनाया जाता है और इस बार यह विशेष इसलिए भी रहा क्योंकि यह 100 वां लाइब्रेरियन डे था.
बाल निकेतन संघ के छात्रों ने विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से पुस्तकालय के महत्व को रेखांकित किया. कविताओं और संगीत के माध्यम से उन्होंने किताबों की दुनिया की खूबियां बताईं. एक नाटक के माध्यम से छात्रों ने विभिन्न प्रकार के पुस्तकालयों के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे पुस्तकालय शिक्षा और रचनात्मकता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में शामिल होते हुए शासकीय श्री अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय के सेवानिवृत्त रीजनल लाइब्रेरियन, डॉ. जीडी अग्रवाल ने कहा – शैक्षणिक संस्थान औपचारिक शिक्षा देते हैं, जबकि पुस्तकालय अनौपचारिक शिक्षा का केंद्र है.
उन्होंने ह्यूमन लाइब्रेरी की अवधारणा को भी समझाया. लाइब्रेरियन सिर्फ किताबें व्यवस्थित करने वाले नहीं होते, बल्कि ज्ञान के द्वार भी होते हैं. पाठकों को सही किताबें खोजने में मदद से लेकर, पुस्तकालय के संसाधनों का प्रबंधन करने तक, लाइब्रेरियन कई भूमिकाएं निभाते हैं. वे पुस्तकालय को एक जीवंत और ज्ञान से भरपूर स्थान बनाते हैं, जहाँ लोग पढ़ने, सीखने और खोज करने आते हैं. बाल निकेतन संघ की सचिव, डॉक्टर नीलिमा अदमणे ने कहा कि – “पुस्तकालय सिर्फ किताबें पढ़ने की जगह नहीं बल्कि एक सामाजिक स्थान भी है, जहां अलग-अलग तरह के लोग आकर एक–दूसरे से मिलते हैं. उन्होंने कई उदाहरणों के द्वारा समझाया की जीवन का सबसे बड़ा धन किताबो में ही है आपके घर में किताबे होना चाहिए और कुछ समय किताबो के साथ बिताना चाहिए. हमारे स्कूल का यही प्रयास है की हम अपने बच्चो को किताबो के और करीब लाए जिससे की उनका और अधिक मानसिक विकास हो सके. सभी आगंतुकों का आभार लाइब्रेरियन श्रीमती संगीता नायक ने माना.