July 9, 2025
इंदौर

Green Indore से ‘क्लीन’ होती ग्रीनरी

इंदौर में पिछले कुछ सालों में पेड़ काटने और पौधे लगाने की जैसे होड़ लगी हुई है. इधर पौधे लगाने की संख्या बढ़ाते हुए दावे होते हैं और उधर कुल्हाडी़/कटर अपने काम में पूरी ताकत से लगे हैं. जहां निगम चार पेड़ काटने की अनुमति देता है वहां 40 पेड़ काटना मामूली बात मानी जाती है. अब शहर में लोकसभा अध्यक्ष और गृहमंत्री 51 लाख पौधों लगाने वाले कार्यक्रम में शामिल होने आने वाले हैं लेकिन दूसरी तरफ जहां हरियाली है वहां से धड़ाधड़ पेड़ काटने का काम दोगुनी ताकत से जारी है.अकेले मल्हार आश्रम में 80 साल तक की उम्र वाले सौ से ज्यादा पेड़ काट दिए गए और वह भी तब जब नागरिक इसका विरोध कर रहे थे. पेड़ों को बचाने के लिए नागरिकों ने ‘जन गण, मन…’ गाकर भी जिम्मेदारों को जगाने की कोशिश की लेकिन जो पेड़ की जान लेने पर ही आमादा हों उन्हें कैसे रोका जाए, लगता तो यह है कि शासन, प्रशासन और निगम को हरियाली के नाम से ही कोई दिक्कत है. पहले बीआरटीएस के नाम पर जमकर आरियां चलीं, फिर तो यह चलन ही हो गया कि किसी भी हवाई योजना के नाम पर सबसे पहले पेड़ काट डाले जाएं. इनके एवज में पेड़ लगाने की शर्त का मखौल बनाना शायद अफसरों का मुख्य मकसद है. छंटाई के नाम पर, सड़क, विकास और घरों में बाधा बन रहे पेड़ों की अनुमति के नाम पर जो शहर की हरियाली को निपटाने का खेल चल रहा है उसमें कौन कौन शामिल हैं इस पर नजर रखिए और आप पाएंगे कि ये आरी, कुल्हाड़ी लिए हाथ कोई बहुत ज्यादा नहीं हैं, पेड़ बचाने के लिए खड़े लेागों से तो बहुत कम ही हैं लेकिन इनकी सनक इसलिए चल जाती है क्योंकि इनकी ऊपर से नीचे तक पकड़ मजबूत है. शहर में अजीब सा खेल चल रहा है कि कभी बीआरटीएस तो कभी स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स के नाम पर यहां तक कि गार्डन बनाकर छोटे छोटे पौधे लगाने के लिए भी बड़े, पुराने और कुछ तो ऐतिहासिक महत्व तक के पेड़ काटे जा रहे हैं. मल्हार आश्रम अकेला नहीं है जहां की हरियाली कुछ लोगों को चुभ रही है बल्कि इन्होंने हर बड़े पेड़ से दुश्मनी ठान रखी है चाहे वो शहर में हों या जंगल में. आप जिस समय मल्हार आश्रम में विरोध कर रहे होंगे तब ये शहर के दूसरे किसी कोने की हरियाली उजाड़कर किसी को हरियाली बढ़ाने के नारे दीवारों पर लिखने का काम सौंप रहे होंगे. ये कुछ ही हाथ हैं लेकिन इतने मजबूत और शातिर हैं कि हरियाली को इनसे बचाना एक बड़ा ‘टास्क’ होकर रह गया है. जिन कुछ लाेगों ने यह टास्क हाथ में लेने की ठानी है उन्हें हमारी शुभकामनाएं.