आत्मा को झकझोर दे, वही वास्तविक ज्ञान : पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी
एमसीयू में व्याख्यान एवं प्रतिभा 2025 का भव्य शुभारंभ
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में शुक्रवार को दादा माखनलाल चतुर्वेदी जी की जयंती पर पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी का विशेष व्याख्यान हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने की. इस अवसर पर विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक एवं खेलकूद गतिविधियों के वार्षिक आयोजन प्रतिभा 2025 का शुभांरभ भी किया गया . वहीं विश्वविद्यालय की वेबसाइट को रीलांच किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय से निकलने वाले दो समाचार पत्र “विकल्प” एवं “पहल” का भी विमोचन मुख्य अतिथि एवं कुलगुरु द्वारा किया गया.
मुख्य अतिथि एवं वक्ता पद्मश्री से अलंकृत भारतीय ज्ञान परंपरा और लोक संस्कृति के मर्मज्ञ डॉ. कपिल तिवारी ने “भारत: ज्ञान परंपरा की भूमि” विषय पर अपने विचारों से छात्रों और शिक्षकों के लिए आत्मचिंतन और बौद्धिक चेतना के नए द्वार खोले. डॉ. कपिल तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि—”भारत की ज्ञान परंपरा सदियों की तपस्या से जन्मी है. इस देश में ज्ञान अर्जन का अर्थ केवल जानकारी नहीं, आत्मबोध है.” उन्होंने कहा कि आज ज्ञान को सूचना भर समझ लिया गया है, जबकि वास्तविक ज्ञान वह है जो आत्मा को झकझोर दे और जीवन की दिशा तय कर दे. उन्होंने शिक्षण व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि— “हमारे देश में 90 प्रतिशत लोग अपनी संभावनाओं को पहचान ही नहीं पाते. शिक्षा संस्थानों में यह प्रश्न ही नहीं पूछा जाता कि तुम कौन हो और क्या करने के लिए इस धरती पर आए हो.” उन्होंने कहा कि मनुष्य को उसकी प्रकृति और प्रतिभा के अनुसार दिशा देना ही शिक्षा का असल उद्देश्य होना चाहिए. डॉ. तिवारी ने भारत की वैचारिक परंपराओं—जैसे अद्वैत, बौद्ध दर्शन, लोक परंपराएं और जनजातीय जीवन—का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सब भारत की वैचारिक विविधता और गहराई का प्रमाण है. उन्होंने बुद्ध, नागार्जुन आदि चिंतकों की परंपरा की व्याख्या की और कहा कि— “ज्ञान किसी एक जाति या वर्ग की बपौती नहीं होता, यह तो सूर्य के प्रकाश की तरह सबके लिए होता है.”
आत्मबोध और सामाजिक चेतना की प्रयोगशाला है एमसीयू : कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी
गणेश शंकर विद्यार्थी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने स्वागत भाषण में कहा कि “यह विश्वविद्यालय केवल डिग्रियाँ देने का केंद्र नहीं है, यह आत्मबोध और सामाजिक चेतना की प्रयोगशाला है.”उन्होंने कहा कि वे हर महीने में एक बार डॉ. कपिल तिवारी से भेंट करते हैं और भविष्य में वे स्वयं कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों से संवाद करेंगे. कुलगुरु ने छात्रों को आत्ममंथन करते हुए कहा कि वे यह सोचें”हम यहाँ क्यों आए हैं?” और “हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है?” कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन सांस्कृतिक समन्वयक डॉ. उर्वशी परमार एवं डॉ. अरुण कुमार खोबरे ने किया. आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी द्वारा किया गया.
इसी के साथ प्रतिभा 2025 में खेल कूद गतिविधियों के अंतर्गत क्रिकेट की भी शुरुआत हुई. जिसमें वरिष्ठ खेल पत्रकार अक्षत शर्मा विशेष रूप से शामिल हुए. कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं. इस अवसर पर खेल समन्वयक डॉ. सतेंद्र डहेरिया, सह खेल समन्वयक डॉ. मनोज पटेल एवं शिक्षक उपस्थित थे.