August 3, 2025
साहित्य

मिलने की शुरुआत करें : हिंदी ग़ज़ल

रचनाकार : मधु टाक

नज़रों से ही नहीं अधरों से भी कुछ तो बात करें
कोरा है जीवन का कागज़ लफ्ज़ों की बरसात करें

कहने को तो सारी दुनिया है मेरे आँचल में समाई
चलो अब सातो आसमान से मिलने की शुरुआत करें

मेरी हर एक बात में हो छंद हर साँस में हो गंध
आओ मन उपवन में खिलते मोगरे की बात करें

कामयनी सा रूप तुम्हारा संध्या का श्रंगार हो
मादकता छलक न जाए समर्पित यह सौगात करें

थक चुकी हूँ जमाने की लगाई हुई पाबंदियों से
तोड़कर रस्म-ओ रिवाज बगावत की बात करें

सफर यह दोस्ती का कुछ इस तरह भी तय करें
भूलकर मंजिल रास्तों से गले मिलने की बात करें

न रहे मलाल कभी जिंदगी में किसी की चाहत का
भौर की पहली किरण से फिर नया शुभ प्रभात करें

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें पैदा ऐसे हालात करें
बैठकर तेरे पहलू में कुछ “मधु” सी फिर बात करें।।