Workshop: संघर्ष से सँवरती जा रही है लघुकथा : सीमा व्यास
वामा साहित्य मंच की कार्यशाला में सीमा व्यास ने समझाई लघुकथा की बारीकियां
वामा साहित्य मंच की जून माह की गोष्ठी 9 जून 2024 रविवार को आयोजित की गई.होटल अपना एवेन्यू में सम्पन्न इस बैठक में सद्स्यों को लघुकथा की बारीकियां समझाने के लिए कार्यशाला रखी गई. जिसमें जानीमानी साहित्यकार सीमा व्यास ने मार्गदर्शन किया. अतिथि के रूप में सीमा व्यास ने कहा कि हिन्दी साहित्य में कहानी,कविता,नाटक किसी भी विधा को इतना संघर्ष नहीं करना पड़ा, जितना लघुकथा ने किया और कर रही है . 1938 में हंस में पहली बार लघुकथा शब्द का प्रयोग किया गया . फिर कई सालों तक लघु कहानी , लघु-कथा या लघु कथा जैसे समान रचनाकर्मी शब्दों के रूप में इसे लिखा जाता रहा . यहाँ तक कि लघु व्यंग्य भी लिखा गया .
सीमा व्यास के अनुसार लगभग 50 साल तक लघुकथा को विधागत मान्यता न मिल सकी . वर्तमान में लेखक जहां इसे सबसे सरल विधा समझने की भूल कर रहे हैं, वहीं पाठक हर घटना या संस्मरण को लघुकथा मानकर पढ़ रहे हैं . लघुकथा के स्वरूप को जानना लेखक और पाठक दोनों के लिए जरूरी है . लेखक की जल्दबाजी पाठक को गुमराह कर रही है .
पत्थर की तरह पड़े विचारों पर जब संवेदना के जल की नमी पड़ेगी तभी अंगुलियाँ कलम का सहारा ले, लघुकथा को जन्म देंगी . लघुकथा की लोक स्वीकार्यता के पीछे सृजन की भीतरी नमी है . आज लघुकथा अपना संघर्ष काल समाप्त कर विधा के रूप में स्थापित हो चुकी है . अब इसके स्वरूप को सजाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है .

कार्यशाला में इससे पूर्व करुणा प्रजापति द्वारा सरस्वती वंदना की नृत्य के साथ प्रस्तुति दी गई. कबीर भजन अंजना सक्सेना ने गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. स्वागत उदबोधन वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया.संचालन सचिव डॉ. शोभा प्रजापति ने किया. अतिथि स्वागत मंजू मिश्रा और डॉ किसलय पंचोली ने किया और स्मृति चिन्ह प्रेमकुमारी नाहटा और चंद्रकला जैन ने प्रदान किया. कार्यशाला में सद्स्यों ने अपनी जिज्ञासा भी रखी जिनके समाधान अतिथि श्रीमती व्यास ने दिए. ग्रीष्मकालीन अवकाश में इस कार्यशाला ने सदस्यों में उत्साह का संचार किया. आभार माना उपाध्यक्ष वैजयंती दाते ने