वामा साहित्य मंच पर व्यंग्य का रंग
हास्य व्यंग्य से सजी वामा की महफिल
यह जीवन तनावों से भरा हुआ है और तनाव को हल्का करता है हास्य व्यंग्य. इसी संदर्भ में शहर के प्रतिष्ठित वामा साहित्य मंच द्वारा हास्य व्यंग्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि प्रसिद्ध व्यंग्यकार जवाहर चौधरी उपस्थित रहे. जिन्होंने कहा मैं सिखाने नहीं सीखने आया है और जीवन में हास्य और व्यंग्य का महत्व पर प्रकाश डालते हुए चुटकुला और व्यंग्य के अंतर को वामा सखियों को समझाया. इस गोष्ठी में वामा सखियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. विभा जैन (ओज्स) ने व्यंग्य कविता, सरला मेहता ने अजब गज़ब दुनिया विज्ञापन की, नुपूर प्रणय वागळे ने मेरा गुरुवार, कविता अर्गल ने लेख सुनाए, स्नेहा काले ने व्यंग्य कविता (पप्पी), मंजू मिश्रा ने बस हंस ले, डॉ. विद्यावती पाराशर ने निमाड़ी कविता भाई कोरोना, आशा मानधन्या ने हास्य संस्मरण, इन्दू पाराशर ने कविता गिद्ध भोज, सुषमा शर्मा (श्रुति) ने मालवी कविता, रचना चौपड़ा ने लेख लो मैं चली…,अमिता मराठे ने व्यंग्य लेख पानी पतासे, प्रतिभा जोशी ने व्यंग्य कविता, अर्चना पंड़ित ने सौतन पर व्यंग्य कविता, उषा गुप्ता ने मास्क हास्य कविता, नीरजा जैन ने वर्किंग वुमन पर हास्य कहानी सुनाकर सभी को बहुत गुदगुदाया.
इस हास्य व्यंग्य गोष्ठी का सुव्यवस्थित संचालन स्मिता नायर ने किया. मां वाग्देवी की वंदना दिव्या मंडलोई ने प्रस्तुत की. अतिथि स्वागत ब्रजराजकुमारी, उषा गुप्ता जी ने किया तथा स्मृति चिन्ह नुपूर वाघले, रचना चौपड़ा ने भेंट किया. कार्यक्रम में वामा अध्यक्ष इन्दू पाराशर और सचिव शोभा प्रजापति उपस्थित रही. अंत में हास्य परिहास की सजी महफिल का आभार चेतना भाटी ने माना
