April 19, 2025
साहित्य समाचार

Valentine Week में वामा साहित्य मंच के दिल के लिए स्लोगन

‘दिल की सुनें, दिल को चुनें’ विषय पर सदस्यों ने लिखीं दिल की बात

वामा साहित्य मंच ने दिल की सुनें, दिल को चुनें विषय पर फरवरी माह की बैठक आयोजित की. जाने माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ.भारत रावत के मुख्य आतिथ्य में इस आयोजन का मुख्य केंद्र इस बात पर था खुद को प्यार कैसे करें. डॉ. रावत ने वर्तमान परिवेश में दिल पर मंडरा रहे खतरों से सबको आगाह करते हुए जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. खुद से प्यार करने के टिप्स भी उन्होंने यह कहते हुए दिए कि अपना वेलेंटाइन खुद बनिए फिर किसी और में प्यार खोजिए.

इस अवसर पर रोचक अंदाज में उन्होंने अपनी बात कही कि सभी को सुंदर और स्वस्थ बने रहने के लिए 5 नुस्खे अपनाने चाहिए.

1-चलें और देखें
2-बीपी/ शुगर और कमर का घेरा नापें
3-घर का बना खाना खाएं और शाम को जल्दी और हलका खाएं
4-सादा जीवन अच्छी नींद
5-योग, प्राणायाम और कुछ व्यायाम.

डॉ. रावत ने सबसे से हार्ट क्लब ज्वाइन करने की भी अपील की जहाँ हर सप्ताह नि:शुल्क स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाते हैं. बैठक में संस्था की सदस्यों ने स्लोगन शेरो-शायरी और काव्य पंक्तियां प्रदर्शित कर उनका वाचन भी किया. जिनमें प्यारे संदेश निहित थे. दिल को केन्द्र में रखकर रची गई पंक्तियों में दिल की अनेक भूमिकाओं को वर्णित कर स्वयं से प्यार करने और सारे दायित्व निभाते हुए अपनी सेहत का ख्याल रखने का उल्लेख किया गया. अध्यक्षीय उद्बोधन में ज्योति जैन ने सदस्यों की रचनात्मकता की सराहना करते हुए खुद की देखभाल की आवश्यकता पर बल दिया.

काव्यात्मक अंदाज़ में सद्स्यों की लिखी पंक्तियां/स्लोगन/शायरी

ज्योति जैन- जीते रहे सभी के लिए सबसे ही तो प्यार किया,वह जीना ही क्या जीना है जब खुद से ही ना प्यार किया.

स्मृति आदित्य- सेहत के साज पर, दिल की आवाज पर,खुद से तू प्यार कर, खुद पर तू नाज कर,कल नहीं ,परसों नहीं अभी और आज कर.

वैजयन्ती दाते – खुद की बेस्ट फ्रेंड हूं,सबके साथ खुद का ख्याल रखती हूं मैं,खुद से उम्मीदें रखती, पूरी करती,यूं खुद की फेवरेट बनी रहती हूं मैं.

शारदा मंडलोई – मनस्वी हैं हम, मन का मान करें,मुदित हों, मोद से स्व के,मन मंदिर का आख्यान सुनें.

पद्मा राजेन्द्र – कहीं मेरा दिल सफेद रंग का तो नहीं, जो भी दागे जख्म लगता है उतरता ही नहीं.

डॉ.अंजना चक्रपाणि- दिल को दुनियादारी और रुसवाईयों से आज़ाद रखिए,यारों दिल की करिए,अपने दिल की सुनिए,माना, इस तलातुम में जिम्मेदारियों के तमाम जखीरे हैं, कुछ लम्हात-ए-सुकून सेहत-ए दिल वास्ते भी रखिए,

उषा गुप्ता- झूठी माया झूठे जग के फंदे ,काम यहां कोई न आएगा,दिल से अपने रख सच्चा नाता, वरना छोड़ तुझे उड़ जाएगा.

डॉ रागिनी सिंह- खतरे में है वजूद दिल का अगर धड़कन सुर में न हो,रखना ध्यान स्वाद का मन में कोई उलझन न हो.

डॉ. किसलय पंचोली- जिस पल मैं मेरे दिल की सुन, स्व पूर्णता के भाव से भरी होती हूं,उस पल सचमुच मेरे दिल में पूरी कायनात धड़कती है.

रश्मि चौधरी- मान सम्मान खुद का भी करती हूं, दिल श्वेत है संगमरमर की तरह,इरादे अपने सदा नेक रखती हूं,महक है मुझमें मिट्टी की तरह.

वंदना पुणतांबेकर- कर्तव्य पथ पर चलकर, रिश्तों का सम्मान किया,खुद का जरा ख्याल किया कौन सा गुनाह किया.

अवन्ति श्रीवास्तव- दिल की बातें दिल से सुनना,खुद को चुनना खुद को गुनना,अपने दिल की रानी बनकर,अपने मनमर्जी की करना.

कविता अर्गल- उन मधुर अहसासों में सुनी दिल की धड़कन तुम्हारे लिए,जिम्मेदारियों के अहसासों में सुनी दिल की धड़कन सबके लिए,अब दिल ने कहा सुन भी ले दिल की धड़कन खुद के लिए.

स्नेह श्रीवास्तव – स्नेह का दीप प्रज्ज्वलित कर परायों को भी अपना बनाया,अपनापन सभी से पा कर, खुशियों का जहाँ रचाया

सुमन कश्यप ( मिशिगन,यूएसए)- दिल से प्यार पाने के लिए भटक मत , सबसे सुंदर वेलेंटाइन है तेरे अंदर /है एक छोटा सा दिल जो धड़क धड़क कर तुझे कहता है, मेरी संभाल कर मुझसे प्यार कर

श्रुति मेहता (मुंबई)- जो सदा साथ है वो अपना ही हाथ है, कभी खुद को प्यार से थाम लीजिए,प्रियजनों की सूची में सबसे ऊपर, अपना नाम लिख लीजिये.

आशा शर्मा – अपने दिल से प्यार छुपा भी लें तो,आंखों में उतर आता है,खुद ही अपने दिल से प्यार का इज़हार हो जाता है,क्या कहने फिर तो सारा जहाँ अपना हो जाता है.

दिव्या मंडलोई- जीवन है तो दिल धड़कता है,
दिल धड़कता है तो रागों में खून दौड़ता है!
विचार , भावनाएं और ख्याल मस्तिष्क में है
पर प्रेम , स्नेह यदि दिल में है तो जीवन संवारता है.

अनिता जोशी- दिल पर हमने अपने कितने सितम किए
सभी का दिल रखने के लिए
दिल ने मेरे कितने जतन किए
अब खुद से ही इश्क हमें करना है
अपने दिल का भी तो दिल रखना है

प्रीति दुबे- दिल में गर हो कोई बात अधूरी तो कर ही लें उसे पूरी
क्योंकि दुनिया से प्रेम निभाने के पहले ख़ुद से ख़ुद की प्रीत ज़रूरी

कार्यक्रम का संचालन अवंती श्रीवास्तव, सरस्वती वंदना करुणा प्रजापति तथा आभार मधु टाक ने व्यक्त किया.