लघुकथा विधा पर अखिल भारतीय सम्मेलन
संस्था क्षितिज के तत्वाधान में हुए कार्यक्रम में लघुकथाकरों को सम्मानित भी किया गया
क्षितिज अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2024 का आयोजन श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर में साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ विकास दवे की अध्यक्षता में संपन्न हुआ. इस अवसर पर सारस्वत अतिथि डॉ. प्रबोध गोविल (संपादक, कथा बिंब), विशिष्ट अतिथि बलराम अग्रवाल थे जबकि मुख्य अतिथि बतौर डॉ. शोभा जैन (संपादक, अग्निधर्मा) उपस्थित रहीं. कार्यक्रम में क्षितिज के वार्षिक अंक 2024 का लोकार्पण भी किया गया. इस कार्यक्रम में विभिन्न साहित्यिक सम्मान प्रदान किए गए. देशभर के जाने माने साहित्यकारों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण में विकास दवे ने कहा लघुकथा साहित्य की नवीनतम विधा है लेकिन सर्वाधिक आकर्षित करने वाली है.
दिल्ली से आए बलराम अग्रवाल ने लघुकथा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि लघुकथा का शिल्प विधान कहानी के शिल्प विधान से अलग होता है. लघुकथा का प्रबल पक्ष संप्रेषणीयता है. लघुकथा में मौन मुखर रहता है. वहीं जयपुर से आए प्रबोध कुमार गोविल ने कहा कि लघुकथाएं दीवार में खिड़कियों की तरह होती है. विस्तार देखने के लिए खिड़की खोल देना पर्याप्त है. लघुकथा पर शहर की लघुकथाकार अदिति सिंह भदौरिया ने कहा कि लघुकथाओं के सृजन में पुराने विषयों से आगे बढ़कर नए विषयों पर काम करने की जरुरत है. देश की जानी मानी साहित्यकार ज्योति जैन ने लघुकथा विधा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हिंदी भाषा का साहित्य बहुत समृद्ध है जिसे निरंतर पढ़ा जाना चाहिए. उन्होंने बाल मनोविज्ञान, स्त्री पुरुष मनोविज्ञान पर भी प्रकाश डाला. शोभा जैन ने कहा कि इस विधा के तत्व पर बात होनी चाहिए. व्यंग्य और आलोचना का सम्मिश्रण है लघुकथा. लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अब लघुकथा सृजन से धुंध हट रही है और लघुकथा का आकाश स्वच्छ हो रहा है. प्राचीन काल से परिमार्जित नई लघुकथाओं की प्रेरणा मिल रही है. दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, सहित कई अन्य राज्यों के अलावा प्रदेश भर से सहभागिता करने आए लघुकथाकार ने आयोजन को सराहा. कार्यक्रम में सरस्वती वंदना छंदाचार्य व सुषमा शर्मा ‘श्रुति’ ने प्रस्तुत की. संचालन रश्मि चौधरी ने किया व आभार सुरेश रायकवार ने माना.