प्रवीण कक्कड़ की पुस्तक “दंड से न्याय तक” लोकार्पित
कानून ही नहीं पुलिसिंग के कई पहलू भी शामिल हैं किताब में
वरिष्ठ पुलिस अफसर रहे और सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रवीण कक्कड़ की बहुप्रचारित और बहुप्रतिक्षित पुस्तक ‘दंड से न्याय तक’ का विमोचन रविवार 6 अक्टूबर को मध्यप्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसके दास, सीबीआई के स्पेशल प्रॉसिक्यूटर मनोज द्विवेदी एवं साहित्यकार पंकज सुबीर के हाथों संपन्न हुआ. विमोचन समारोह में पुलिस, पत्रकार, साहित्यकार और इंदौर समेत मध्यप्रदेश के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए.
इंदौर की होटल श्रीमाया रेसीडेंसी में संपन्न आयोजन में पूर्व पुलिस महानिदेशक एसके दास ने कहा कि समाज को यह जानना जरूरी है कि कानून क्या है उनके अधिकार क्या है और अपने अधिकारों का उपयोग वे कैसे कर सकते हैं. पिछले दिनों कानूनों में हुए परिवर्तन को समझने की सभी को जरूरत है. अंग्रेजों के जमाने में आमजन पुलिस से डरता था वह स्थिति अब बदली है. ऐसे भय को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में यह पुस्तक सार्थक कड़ी बनेगी.
विशेष अतिथि मनोज द्विवेदी ने कहा कि कानून आमजन को सोशल जस्टिस दिलाने के लिए है. इसी पहल को लेकर नया कानून आया है. व्यक्ति कानून का जानकार रहेगा तो अपराध कम होंगे. इस विषय पर अब तक कोई पुस्तक नहीं आई है. ऐसे में कानून को समझने के लिए और धाराओं की जानकारी लेने के लिए यह पुस्तक उपयोगी साबित होगी. उन्होंने प्रवीण जी के टाइम मैनेजमेंट की तारीफ करते हुए कहां की इन्हें हम पुलिस सेवा में भी समय प्रबंधन के लिए जानते थे, मंत्रालय और सचिवालय में भी इसी की चर्चा थी.
शिवना प्रकाशन के पंकज सुबीर ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुस्तक सिर्फ पुलिस अधिकारियों के लिए ही नहीं बल्कि हर आमजन के लिए महत्वपूर्ण है. यह पुस्तक बताती है कि कानून में कौन-कौन सी धाराएं बदल गई हैं. सोशल मीडिया के तूफान के बीच इस पुस्तक का आना एक सार्थक पहल है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रवीण जी को लोग एक पूर्व पुलिस अधिकारी और पूर्व ओएसडी के रूप में तो जानते ही हैं लेकिन एक लेखक के रूप में अब उनकी यह नई पहचान बनेगी.
पुस्तक के लेखक श्री प्रवीण कक्कड़ ने पुस्तक को अपनी मां स्वर्गीय विद्यादेवी कक्कड़ को समर्पित करते हुए कहा कि मेरा जीवन पुस्तकालय से शुरू हुआ था कॉलेज में मैं काफी किताबें पढ़ता था. फिर पुलिस मुख्यालय, सचिवालय और मंत्रालय से होता हुआ फिर पुस्तकालय तक पहुंच गया है. जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते हैं लेकिन जब भी आपको आगे बढ़ना हो तो आपको वह सीढ़ी छोड़ना पड़ेगी जिस पर आप मजबूती से खड़े हैं, अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलेंगे, तभी आप ऊपर की ओर बढ़ पाएंगे. उन्होंने पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस के नये कानून ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (बीएनएसएस) और पुराने क़ानून ‘भारतीय दंड संहिता’ (आईपीसी) के बीच के बदलाव को मैने बेहद सरल भाषा में अंकित किया है. यह पुस्तक पुलिस, प्रशासन, क़ानून के विद्यार्थियों और वकीलों के साथ साथ आम जनता के लिये भी बेहद उपयोगी साबित होने वाली है. इस पुस्तक में पुराने और नए कानून में धाराओं के परिवर्तन, ऑनलाइन शिकायत सहित अन्य महत्वपूर्ण बदलाव की जानकारी है. दुनिया के बेस्ट पुलिसिंग सिस्टम और पुलिस सुधार के विभिन्न प्रयासों का भी उल्लेख है. कार्यक्रम में स्वागत भाषण श्रीमती ज्योति जैन ने दिया. उन्होंने शिवना प्रकाशन परिवार की ओर से सभी का स्वागत किया. कार्यक्रम का सूत्र संचालन संजय पटेल ने किया.