हिंदी कविता : अच्छा आदमी
स्मृति आदित्य
पत्रकार और कवयित्री स्मृति आदित्य ने 15 साल से अधिक डिजिटल मीडिया को दिए.पिछले दिनों उनका काव्य संग्रह हथेलियों पर गुलाबी अक्षर आया और खूब पसंद किया गया…प्रस्तुत है इस संग्रह से एक कविता…
अच्छा होना क्या इतना बुरा है कि
हर तरफ शक की निगाहों से देखे जाते हैं
आखिर बिना किसी लाभ के
क्यों कर रहे हैं हम भला
नहीं होता किसी को विश्वास
क्योंकि उनकी नज़र में
हर दूसरा व्यक्ति बुरा है उनके आसपास
अच्छे लोग कौन होते हैं, कैसे होते हैं
अच्छे लोगों ने भी आखिर क्या पा लिया अच्छे होकर?
पेंशन के लिए लाइन में खड़ा रहता है अच्छा आदमी
अपने ही पैसों के लिए परेशान होता है अच्छा आदमी
अपने किए काम पर दूसरों को ताली बटोरते देख कर भी
चुपचाप खड़ा होता है अच्छा आदमी
सबसे पीछे चलता है वह भीड़ में
गुम भी हो जाता है,
हार्ट अटैक से मरे न मरे रोज दुनिया देखकर मरता है
अपनी अच्छाई के लिए बार-बार दंडित होता है अच्छा आदमी
बुराई को जीतते हुए देख दिन भर घुटता रहता है अच्छा आदमी
अगले जन्म में बनूंगा मैं भी बुरा आदमी
यह सोचकर भी अच्छा ही बना रहता है अच्छा आदमी…
देता है जीते जी
खुद को ही श्रद्धांजलि कि
चला गया अच्छा आदमी,
दुनियादारी में कच्चा आदमी…