June 22, 2025
Religion

Okhleshwar Dham सुरम्य प्रकृति के बीच पुरातन महत्व का हनुमान मंदिर

मां अहिल्या का पुनरुद्धार करवाया हुआ शिव मंदिर भी

इंदौर से पचास किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओखलेश्वर धाम अपने आप में एक अनूठी जगह है जहां हनुमान जी की ऐसी अद्भुत मूर्ति है जिनके हाथ में आमतौर पर पाए जाने वाला द्रोणगिरी पर्वत न होकर शिवजी की मूर्ति है.

इंदौर और ओंकारेश्वर वाले रास्ते पर स्थित बाइग्राम से बीस किलाेमीटर अंदर जाएं तो यह अद्भुत और प्राचीन स्थान आपको एक ऐसा अहसास देता है जो अद्वितीय है. दरअसल इस मूर्ति को लेकर बताया जाता है कि जब श्रीराम को समुद्र किनारे रामेश्वरम के लिए मूर्ति स्थापना करनी थी तो उन्होंने हनुमानजी को यह काम सौंपा, जब हनुमानजी ने इसी जगह दिव्य चक्षुओं से देखा कि रामजी शीघ्रता के चलते वहां मूर्ति स्थापित कर चुके हैं और इसी के प्रतीक स्वरूप हनुमानजी के हाथों में शिवलिंग है. यहां के बारे में यह भी माना जाता है कि श्रीराम, लक्ष्मण और मां सीता वनवास के दौरान स्वयं यहां आए थे और अपनी दिव्य उपस्थिति से उन्होंने इस भूमि को आशीर्वाद दिया था. इसीलिए ओखलेश्वर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर से कुछ ही दूरी पर सीतावन नाम की भी एक जगह है. ओखलेश्वर मंदिर अति प्राचीन माना जाता है. ओखलेश्वर मंदिर में जो हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है उसकी ऊंचाई साढ़े नौ फीट है. यहां हर बार रोहिणी नक्षत्र या हनुमान जन्मोत्सव के दिन ही चोला चढ़ाया जाता है. यहां एक अति प्राचीन शिवमंदिर भी है जिसके बारे में माना जाता है कि यह द्वापर युग का है और इसे वर्तमान स्वरूप देवी अहिल्या ने दिया. इस स्थान की एक और विशेषता है जो गिनीज बुक तक में दर्ज है और वह यह कि यहां 1976 से पंडित ओंकार प्रसाद पुरोहित द्वारा जो अखंड रामायण का पाठ शुरु कराया वह पिछले 48 साल से अनवरत जारी है. इस मंदिर को हनुमानजी के प्राचीनतम मंदिरों में गिना जाता है. ओखलेश्वर तक पहुंचना भी किसी खास अनुभूति से कम नहीं है क्योंकि यहां तक पहुंचने का जो रास्ता है वह बहुत सुरम्य है और हरे-भरे जंगलों और छोटे छोटे गांवों के बीच से होकर गुजरता है और इन बारिश के दिनों में तो यह रास्ता बेहद खास नजर आता है.