July 7, 2025
लाइफस्टाइल

You Are Still Our Grace… कलाकार जब बूढ़े हो जाते हैं

-प्रवीण झा

कई वर्ष पहले मैंने चर्चा की थी, जब मन्ना डे बेंगलुरु में मेरे विभाग में एक जाँच कराने आए थी. उनके हड्डियों के घनत्व घट रहे थे, उसी सिलसिले में. हम बचपन में मन्ना डे को गायकी का भगवान कहते थे, जिस पर मैंने अलग से पहले लिखा है. लेकिन उस दिन जब व्हीलचेयर पर बिठा कर मन्ना डे को लाया गया, तो मैं बहुत यांत्रिक हो गया था. वह विभाग आए, जाँच कराया और चले गए. मैंने उनसे मिलना भी आवश्यक नहीं समझा. बाद में पता लगा कि कुछ लोग उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने गए थे, जिन्हें उनके साथ आए व्यक्ति ने हुड़क दिया था कि मन्ना डे मात्र जाँच कराने आए हैं. मैं अपने भगवान को इस रूप में देखना नहीं चाहता था, क्योंकि उनकी छवि ही बुलंद तान लगाने वाले गायक रूप में दर्ज थी. वह छवि क्यों टूटे?

आज मैं नॉर्वे के कॉन्ग्सबर्ग शहर में हूँ जो बूढ़ों का शहर है. यहाँ की तिहाई से अधिक जनसंख्या साठ पार है, और चौथाई जनसंख्या अस्सी पार. यहाँ हर वर्ष एक जैज़ उत्सव होता है. उसमें लगभग यह तय है कि एक मुख्य कलाकार ऐसे होंगे जो साठ-सत्तर के दशक के सुपरस्टार थे. अब लाइमलाइट में नहीं रहे. अक्सर यह उन कलाकारों का आखिरी कंसर्ट ही होता है. जैसे मैंने शायद बताया हो कि उस्ताद जाकिर हुसैन दुनिया छोड़ने से ठीक पहले यहाँ कंसर्ट करने आए थे, और यहाँ के बुजुर्ग ‘जाकिर, जाकिर!’ चिल्लाते हुए उनका स्वागत कर रहे थे.

कल रात यहाँ ग्रेस जोंस आयी. जमैका की गायिका ग्रेस जोंस को अब दुनिया भूल चुकी है. आज से पचास-साठ पहले उन्होंने काली महिला को एक फ़ैशन आइकन रूप में प्रस्तुत किया था. नाओमी कैम्पबेल और बियोन्से आदि से दशकों पूर्व उन्होंने काला सौंदर्य और क्रॉस ड्रेसिंग के प्रतिमान रचे थे. उनकी तस्वीरें पेरिस के हर दूसरे फैशन पत्रिका के कवर पर हुआ करती. उतनी ही बुलंद उनकी मंच पर गायकी हुआ करती. लेकिन हमारी पीढ़ी उन्हें भूल चुकी है.

कल जब वह आयी, तो उनकी उम्र 77 वर्ष थी. यहाँ के बूढ़े उत्साह से ‘ग्रेस! ग्रेस!’ चिल्ला रहे थे. जब पर्दा खुला, तो ग्रेस एक सुनहरा मुखौटा लगा कर सिंहासन पर बैठी थी. वह मुखौटे के पीछे से गा रही थी. एक स्वाभाविक कारण लगा कि बूढ़ी ग्रेस अपना चेहरा उन फैन्स को दिखाने में अब असहज हैं, जिन्होंने उन्हें पत्रिकाओं के कवर पर देखा है. लेकिन जैसे-जैसे उनके गीतों से सुर में सुर मिला कर लोग गाने लगे, उन्होंने मुखौटा उतार फेंका. वह उछल कर युवा ऊर्जा से गाने लगी. बीच-बीच में थकने लगती, तो वापस कुर्सी पर बैठ जाती.

वह अपने शब्द भूलने लगी थी, तो माइक पर कहा कि आपको याद है? लोगों ने उनके गीतों के वाक्य पूरे किए, और वह फिर से अपने पुराने दिनों में लौट गयी. उन्होंने अपने कोट और पैंट उतार दिए और अपनी लंबी नंगी टांगों के साथ मॉडल अवतार में आ गयी. उन्होंने हँस कर कहा- ‘I have no ass now’ (अब मेरे कूल्हे नहीं रहे). अगली पंक्ति में खड़े बूढ़ों ने चिल्ला कर कहा- ‘you are still our Grace’ (तुम अब भी हमारी ग्रेस हो)

यह संभव है कि ग्रेस जोंस के आखिरी कंसर्ट में यह हो, क्योंकि दुनिया अब उन्हें बुलाना बंद कर चुकी है. कलाकारों को बूढ़ा देखना, सुरों का हिलना, गीतों के बोल भूलना जितना असहज करता है, उतना ही उनके फ़ैन्स की कभी खत्म न होने वाली चाहत यह बताती है कि कलाकार दो बार मरते हैं. पहली बार जब उनका शरीर दुनिया छोड़ कर जाता है, दूसरी बार जब उनके चाहने वाले.