April 19, 2025
लाइफस्टाइल

Water FootPrint भी देखिए अपने एआई चैटबॉट के…

अभी तक हम कॉर्बन फूटप्रिंट्स की बात करते आए हैं और इनको लेकर दुनियाभर में बात भी हो रही है लेकिन जबसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी AI ने कदम रखे हैं तभी से यह सवाल उठ रहे हैं कि इनके वॉटर फूटप्रिंट्स पर भी काम किया जाना चाहिए. पहले यही बात गूगल जैसे सर्च इंजन के लिए कही जाती रही है जिनके सर्वर को ठंडा रखने में बड़ी मात्रा में पानी खर्च होता है और ऐेसा भी नहीं कि कूलिंग के लिए समुद्री पानी का इस्तेमााल किया जाता हो बल्कि इसके लिए भी पोटेबल वॉटर यानी पीने योग्य पानी ही चाहिए होता है.

क्या है इनके सर्वर्स की कूलिंग प्रोसेस

AI मॉडल्स को चलाने के लिए जरूरी सर्वर कक्षों को ठंडा रखने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। ये सर्वर 10-27 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सबसे अच्छा काम करते हैं, और इस तापमान को बनाए रखने के लिए शीतलन टावरों (कूलिंग टॉवर्स) का उपयोग किया जाता है. प्रत्येक किलोवाट-घंटे बिजली की खपत के लिए शीतलन टावर लगभग 3.8 लीटर पानी का उपयोग करते हैं. यानी हर घंटे एक केवी बिजली की खपत पर एक गैलन पानी कृलिंग के लिए खर्च होता है जबकि कुछ संस्थान इसे लगभग 7 लीटर तक मानते हैं, इसे विशेषज्ञ इस तरह बतात हैं कि यदि आपने एआई से आधे घंटे में दस सवाल किए हैं तो इसका वॉटर फूट प्रिंट 5 लीटर से ज्यादा हो सकता है.

जल वाष्पीकरण और वातावरण

जब पानी वाष्पित होता है, तो यह अपने आसपास की गर्मी को सोख लेता है और वातावरण का तापमान कम कर देता है। इस प्रक्रिया में, जल वाष्प शीतलन टावर के अंदर उठता है और वातावरण में छोड़ दिया जाता है। इससे डेटा केंद्रों द्वारा उपयोग किया गया पानी खो जाता है और इसे पुनः चक्रित नहीं किया जा सकता.

ताजा जल की आवश्यकता

डेटा केंद्रों में शीतलन टावर केवल साफ ताजा पानी का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि नदियों और झीलों से। समुद्री जल का उपयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि इसकी उच्च लवण सामग्री से संवेदनशील उपकरणों में जंग लग सकती है. स्वीडन और फिनलैंड जैसे देशों में स्थित डेटा केंद्र कम पानी का उपयोग करते हैं क्योंकि वहाँ की प्राकृतिक रूप से ठंडी स्थितियाँ होती हैं लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में, जहाँ अब AI की बहुत सारी गतिविधियाँ केंद्रित हैं, उच्च वातावरणीय तापमान पानी की आवश्यकता को बढ़ा देते हैं.